नरहर विष्णु गाडगील
नरहर विष्णु गाडगिल (काका साहेब गाडगीळ) : (1896 - 1966) भारत के एक राजनेता, अर्थशास्त्री, लेखक व भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी और भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे। उन्होंने स्वतन्त्र भारत के प्रथम नेहरू मन्त्रिमण्डल में ऊर्जा मंत्री के रूप में कार्य किया।
परिचय
काका साहेब गाडगीळ का जन्म 10 जनवरी 1896 को मंदसौर के मालागढ़ कस्बे में हुआ था। गाडगील ने 1918 में पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और दो साल बाद कानून में डिग्री प्राप्त की।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और वल्लभभाई पटेल ने गाडगिल को प्रभावित किया। वह अपनी कानून की डिग्री प्राप्त करने के तुरंत बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी सक्रिय भागीदारी शुरू कर दी। भाग लेने के लिए उन्हें सत्तारूढ़ ब्रिटिश सरकार से आठ बार कारावास का सामना करना पड़ा।
राजनैतिक सफर
भारत के स्वतंत्रता-पूर्व दिनों में, गाडगिल ने पूना जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष (1921–25), के रूप कार्य किया। वे 1934 में केंद्रीय विधान सभा (भारतीय ब्रिटिश संसद) के लिए चुने गए। बाद में उन्होंने बॉम्बे राज्य की विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के सचेतक (1935 - 45) के रूप में कार्य किया।
गाडगील 1946 में बॉम्बे राज्य से भारत की संविधान सभा के लिए मनोनीत किए गए। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत नेहरू मंत्रिमंडल में 15 अगस्त 1947 से 12 दिसंबर 1950 तक) उन्होंने देश के पहले ऊर्जा मंत्री के रूप कार्य किया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपने पहले वर्ष में, उन्होंने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की गतिविधियों के एक हिस्से के रूप में कश्मीर में जम्मू के रास्ते पठानकोट से श्रीनगर तक एक सैन्य-कैलिबर सड़क बनाने की परियोजना शुरू की। कैबिनेट मंत्री के रूप में, उन्होंने भाखड़ा, कोयना और हीराकुंड बांधों से संबंधित महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं की शुरुआत की।
गाडगील 1952 के संसदीय चुनावों में पुणे संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लोकसभा के लिए चुने गए। चुनाव बाद वे 1952-55 की अवधि के दौरान कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य चुने गए।
गाडगिल ने (15 सितंबर 1958 से 1 अक्टूबर 1962) तक पंजाब के राज्यपाल के रूप में कार्य किया और फिर बाद में उन्होंने (1964 से 1966) तक, सावित्रीबाई फुले पूना विश्वविद्यालय, के कुलपति के रूप में कार्य किया।
12 जनवरी 1966 को पूना विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
उनकी राजनीतिक विरासत उनके पुत्र पीढ़ी विट्ठलराव गाडगिल ने संभाली। जो 1980, 1984, 1989 के संसदीय चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पुणे लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए, और उनके पोते अनंत गाडगिल वर्तमान में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता हैं।
लेखन
प्रकाशित साहित्य
- अनगड मोती (ललित लेख)
- आधुनिक राज्य व स्वातंत्र्य (१९६२)
- The collected works of Kakasaheb Gadgil
- कायदेमंडळातील सहा वर्षे
- काही मोहरा काही मोती (आपने समकालीन राजनैतिक नेताओं के व्यक्तिचित्र)
- गव्हर्नर्मेंट फ्रॉम इनसाइड (इंग्लिश) (Government From Inside) (पहिली आवृत्ती १९८८, तीन भाषाओं में अनुवाद)
- ग्यानबाचे अर्थशास्त्र (चाणक्य के अर्थशास्त्र का मराठी अनुवाद, १९४३)
- चॉकलेटची वडी (१९६७)
- पथिक (दोन भागातील आत्मचरित्र, १९६४-६५)
- माझा येळकोट (ललित लेख, १९६१)
- माझे समकालीन (आपल्या समकालीन राजकीय नेत्यांची व्यक्तिचित्रे, १९५९)
- मुठा ते मेन (त्या काळच्या जर्मनीचे दर्शन, १९६५)
- राज्यशास्त्रविचार (१९४५)
- लाल किल्ल्याच्या छायेत (ललित लेख, १९६४)
- वक्तृत्वशास्त्र (१९५८)
- Vaḍī dhārāsabhāmāṃ cha varsha (?)
- War and Indian economic policy (सहलेखक डी.आर. सोहनी, १९४४)
- विधिशास्त्रविचार (१९५८)
- शीखांचा इतिहास (१९६३)
- शुभ शास्त्र
- सत्तरीतले काका (१९६५)
- सभाशास्त्र (१९४७)
- समग्र काका (अनेक, किमान १८ खंड).
- सालगुदस्त
- स्मृति-शेष (१९५८)
- हिंदी अंदाजपत्रके (१९४२)
प्रतिष्ठान
- अध्यक्ष, मराठी साहित्य सम्मेलन, सातारा, १९६२
- काकासाहेब गाडगीळ नावाचे एक प्रतिष्ठान आहे; त्या संस्थेमार्फत दरवर्षी भाषणे आयोजित केली जातात, एक मोफत वाचनालयही चालवले जाते काही पुरस्कार दिले जातात. हा पुरस्कार मिळालेल्या काही व्यक्ती :- फ.मुं. शिंदे, डॉ. श्रीपाल सबनीस,
काकासाहेब गाडगीळ से संबंधित पुस्तकें
- काका गाडगिळांच्या ८१व्या जयंतीच्या निमित्ताने १९७७ साली एक स्मरणिका प्रकाशित केली होती. स्मरणिकेतले लेखक - निळूभाऊ लिमये, प्रसन्नकुमार अभ्यंकर, गो.कृ. पटवर्धन
- श्री काकासाहेब गाडगीळ : चरित्र (लेखक V S Apte ?) (१९६७)
- काकासाहेब गाडगीळ (चरित्र, अरुण साधू)
- काकासाहेब गाडगीळ : जन्मशताब्दी ग्रंथ (संपादक - रवींद्र कुमार)
- सह्याद्रीची शिखरे (लेखक - अनंत हरी लिमये, र.पु. परांजपे, दत्तो वामन पोतदार)
- महान व्यक्तित्वे : भाग १० (बालवाङ्मय) (मूळ इंग्रजी - Remembering our Leaders, volume 10)