जादव पायेंग
जादव पायेंग | |
---|---|
2012 में जादव पायेंग | |
जन्म |
जादव पायेंग 1963 (आयु एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।–एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।) असम, भारत |
व्यवसाय | वनपाल |
जीवनसाथी | बिनीता पायेंग |
बच्चे | मुमुनि, संजय, संजीव |
पुरस्कार | पद्मश्री (2015) |
जादव " मोलाई " पायेंग (जन्म 1963) एक पर्यावरणविद[१] और जोरहाट के वानिकी कार्यकर्ता हैं, जिन्हें लोकप्रिय रूप से फ़ॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया के रूप में जाना जाता है । [२] [३] कई दशकों के दौरान, उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी के एक सैंडबार पर पेड़ लगाए और उन्हें जंगल में बदल दिया। इन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से केवल मिट्टी और कीचड़ से भरी जमीन को फिर से हरा-भरा कर दिया।[४]
यह जंगल माजुली द्वीप पर स्थित है, और इसका नाम अब उनसे प्रेरित होकर मोलाई वन रख दिया गया है। [५] यह जोरहाट, असम, भारत के कोकिलामुख के पास स्थित है और इसमें लगभग 1,360 एकड़ / 550 हेक्टेयर का क्षेत्र शामिल है । [६] [७] 2015 में, उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। [८] उनका जन्म असम के स्वदेशी मिसिंग जनजाति [९] में हुआ था।
कार्य[४]
साल 1979 में असम में आई भयंकर बाढ़ ने उनके जन्मस्थान के आसपास बड़ी तबाही मचाई थी। बाढ़ का ही असर था कि आसपास की पूरी जमीन पर सिर्फ मिट्टी और कीचड़ दिखता था। साधारण से दिखने वाले जादव ने अकेले उस खाली जमीन को घने जंगल में बदल दिया। यह सब तब शुरू हुआ जब एक दिन जादव ब्रह्मपुत्र नदी स्थित द्वीप अरुणा सपोरी लौट रहे थे। उस समय जाधव ने बालिगांव जगन्नाथ बरुआ आर्य विद्यालय से कक्षा 10 की परीक्षा दी थी। रेतीली और सूनसान जमीन में सैकड़ों सांपों को बेजान मरता देख वह चौंक गए। द बेटर इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक दिन जादव ने आसपास के बड़े लोगों से पूछा, 'अगर इन्हीं सांपों की तरह एक दिन हम सब मर गए तो वे (बड़े लोग) क्या करेंगे?' उनकी इस बात पर सभी बड़े-बुजुर्ग लोग हंसने लगे और उनका मजाक उड़ाने लगे, लेकिन वह (जादव) जानते थे कि उन्हें इस भूमि को हरा-भरा बनाना है। अप्रैल 1979 में इस तबाही को देख जादव ने (जब वह महज 16 साल के थे) मिट्टी और कीचड़ से भरे द्वीप को एक नया जीवन देने के बारे में ठान लिया। इस बारे में जादव ने गांव वालों से बात की। गांव वालों ने उन्हें पेड़ उगाने की सलाह के साथ-साथ 50 बीज और 25 बांस के पौधे दिए। जादव ने बीज बोए और उनकी देखरेख की। उसी का परिणाम है कि आज 36 साल बाद उन्होंने अपने दम पर एक जंगल खड़ा कर दिया। जोराहाट में कोकिलामुख के पास स्थित जंगल का नाम मोलाई फॉरेस्ट उन्हीं के नाम पर पड़ा। इसमें जंगल के आसपास का 1360 एकड़ का क्षेत्र शामिल है। हालांकि इस जंगल को बनाना आसान नहीं था। जादव दिन-रात पौधों में पानी देते। यहां तक कि उन्होंने गांव से लाल चींटियां इकठ्ठी कर उन्हें सैंड बार (कीचड़) में छोड़ा। अंत में उन्हें प्रकृति से उपहार मिला और जल्द ही खाली पड़ी जगह पर वनस्पति और जीव-जंतुओं की कई श्रेणियां पाई जाने लगीं। इनमें लुप्त होने की कगार पर खड़े एक सींग वाले गैंडे और रॉयल बंगाल टाइगर भी शामिल हैं।
सम्मान
जादव पेलांग को उनकी उपलब्धि के लिए 22 अप्रैल 2012 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय[१०] के स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल साइंसेज द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक समारोह में सम्मानित किया गया। उन्होंने एक इंटरैक्टिव सत्र में एक जंगल बनाने के अपने अनुभव को साझा किया, जहां मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह और जेएनयू के कुलपति सुधीर कुमार सोपोरी मौजूद थे। सोपोरी ने जादव पायेंग को "फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया" ख़िताब दिया। [११][१२]
अक्टूबर २०१३ में, उन्हें भारतीय वन प्रबंधन संस्थान में उनके वार्षिक कार्यक्रम कोएलिशंस के दौरान सम्मानित किया गया।
2015 में, उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने योगदान के लिए असम कृषि विश्वविद्यालय और काजीरंगा विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त की।
लोकप्रिय संस्कृति में
पायेंग हाल के वर्षों में कई वृत्तचित्रों का विषय रहे हैं। 2012 में जीतू कालिता द्वारा निर्मित एक स्थानीय रूप से बनाई गई फिल्म वृत्तचित्र, द मोलाई फॉरेस्ट, [१४]को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालयमें प्रदर्शित किया गया था। पायेंग के घर के पास रहने वाले जीतू कालिता को भी चित्रित किया गया है और अपनी डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से पायेंग के जीवन को पेश करने के लिए अच्छी रिपोर्टिंग के लिए मान्यता दी गई है।
यह सभी देखें
- वनीकरण
संदर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ अ आ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ The Molai forest 2012 इंटरनेट मूवी डेटाबेस पर
बाहरी कड़ियाँ
- स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- मनुष्य ब्रह्मपुत्र रेत पट्टी पर जंगल बनाता है
- McMaster, William Douglas (2013). वन मैन (पूरी फिल्म)।