यमदूत

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>Aviram7 द्वारा परिवर्तित १२:४३, ५ जनवरी २०२२ का अवतरण (सुधार किया)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

मृृत्यु के बाद स्थूल शरीर यही रह जाता है। सूक्ष्म शरीर या मन यमलोक या अन्य लोकों में चली जाती है।[१] यमलोक ले जाने के लिए यमदूत होते हैं, जिनकी संख्या चार बताई है।[२]

प्राचीन साहित्य

गरुड़ पुराण,विष्णु पुराण,कठोपनिषद व अन्य ग्रंथों में यमलोक,यमराज, व यमदूतों का वर्णन आता है। यमलोक को यमपुरी भी कहते हैं। इसमें यमराज मुख्य होता है।उसी के आदेश से यमदूत आत्मा को लेकर जाते हैं। कुछ के अनुसार मरते समय शरीर जड़ सा हो जाता है। सभी इन्द्रियाँ काम करना बंद कर देती है।[३] मरते समय अगर गंगाजल,तुलसी का पौधा, श्रीमद्भागवत गीता व रामायण पास में हो तो यमदूत उसे नरक नही ले जाते।[४]

इन्हें भी देखें

यमराज

संदर्भ

  1. गरुड़ पुराण, गीता प्रेस गोरखपुर
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  3. https://www.bhaskar.com/news/jm-jkr-dgra-garud-puran-how-are-yamdoot-capturing-the-soul-after-death-5322298-pho.htmlसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
  4. https://m.patrika.com/bhopal-news/tips-for-long-and-better-life-in-india-1-3570505/