नकेनवाद

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
2405:204:a60a:c7d1::14c7:18a0 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित ०२:५२, २१ जुलाई २०१९ का अवतरण (नरेश मेहता नही सिर्फ नरेश है)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

नकेनवाद की स्थापना सन् १९५६ में नलिन विलोचन शर्मा ने की थी। नकेनवाद को प्रपद्यवाद के नाम से भी जाना जाता है। इसे हिंदी साहित्य में प्रयोगवाद की एक शाखा माना जाता है। इसके अंतर्गत तीन कवियों को लिया जाता है- नलिन विलोचन शर्मा, केशरी कुमार, नरेश। प्रयोगवाद पर चर्चा करते हुए नकेनवाद के संदर्भ में 'आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ' पुस्तक में नामवर सिंह लिखते हैं कि- "प्रयोगवाद का एक दूसरा पहलू बिहार के नलिनविलोचन शर्मा, केशरी और नरेश के 'नकेनवादी' प्रपद्यों द्वारा आया जो अपनी समझ से अज्ञेय के और प्रयोगवाद का विरोध करते हुए भी वस्तुतः उसी की एक शाखा है।"[१]

संदर्भ

साँचा:asbox