काल भैरव मन्दिर, वाराणसी
काल भैरव मन्दिर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | साँचा:br separated entries |
देवता | Lord Shiva |
त्यौहार | रुद्राक्ष शृंगार अन्नकूट भैरवाष्टमी |
शासी निकाय | साँचा:csv |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | साँचा:if empty |
ज़िला | वाराणसी |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
देश | साँचा:flag |
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भौगोलिक निर्देशांक | साँचा:coord |
वास्तु विवरण | |
निर्माता | साँचा:if empty |
निर्माण पूर्ण | १७वीं शताब्दी |
ध्वंस | साँचा:ifempty |
अवस्थिति ऊँचाई | साँचा:convert |
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काशी का काल भैरव मन्दिर वाराणसी कैन्ट से लगभग ३ कि० मी० पर शहर के उत्तरी भाग में स्थित है। यह मन्दिर काशीखण्ड में उल्लिखित पुरातन मन्दिरों में से एक है। इस मन्दिर की पौराणिक मान्यता यह है, कि बाबा विश्वनाथ ने काल भैरव जी को काशी का क्षेत्रपाल नियुक्त किया था। काल भैरव जी को काशीवासियो के दंड देने का अधिकार है।
यहाँ रविवार एवं मंगलवार को अपार भीड़ आती है। आरती के समय नगाड़े, घंटा, डमरू की ध्वनि बहुत ही मनमोहक लगती है। यहाँ बाबा को प्रसाद में बड़ा, शराब पान का विशेष महत्व है। यहाँ विषेश रूप से भूत-पिशाचादि के उपचार हेतु लोग आते हैं, तथा बाबा की कृपा से ठीक हो जाते हैं। यहाँ बालकों को काले धागे ( गंडा ) दिया जाता है, जिससे बच्चे भय-मुक्त हो जाते हैं। काशी में ऐसी मान्यता है, कि कोई भी प्राणी को मृत्यु से पूर्व यम यातना के रूप में बाबा काल भैरव के सोटे की यातना का सामना करना होता है,हाँ परन्तु मान्यता यह भी है,कि केदार खंड काशी बासी को भैरव यातना भी नहीं भोगनी पड़ती है।