रौतिया
साँचा:ethnic group रौतिया जाति है, जो भारत में बिहार , झारखंड , छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों में पाई जाती है । उन्हें रावत के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि रावत से ही रावतिया बना है जिसे रौतिया भी लिखते हैं।
इतिहास और मूल
उनकी परंपराओं के अनुसार, समुदाय ने राजपूत राजकुमार की मदद की और उनकी रक्षा की, जिन्हें इनाम के रूप में लोहरदग्गा , जशपुर क्षेत्र में भूमि दी गई। वे हिंदी की सादरी बोली बोलते हैं।[१]
रौतिया नाम रावत से संबंधित है जिसका अर्थ राजकुमार होता है और यह राजाओं के रिश्तेदारों द्वारा वहन की जाने वाली उपाधि भी है। उनके प्रमुख सैन्य सेवा की शर्त पर छोटा नागपुर के राजा के संपत्ति के मालिक थे।[२]
वर्तमान परिस्थितियाँ
रौतिया को तिन उप-समूहों में विभाजित किया जाता है, बाड़गोहरी, मज्झलि गोहरी और छोटकी। इस समूह को अलग-अलग वंशों में विभाजित किया गया है। इस तरह की वंश को नाम दिया गया है- खरकवार, लाथुर, खोया, रीखी, माझी, कटवार। बड़गोहरी खुद को दूसरो से बेहतर मानते हैं। कहा जाता है कि मझली और छोटकी, रौतिया पिता और अन्य जातियों की माता के वंशज थे। परंपरागत और मुख्य रूप से वे कृषक हैं। वे पास के जंगलों से फल और कंद भी इकट्ठा करते हैं।[३]