वाणी जयराम

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वाणी जयराम
2015 में वाणी जयराम
2015 में वाणी जयराम
पृष्ठभूमि की जानकारी
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पार्श्व गायिका
वाद्ययंत्रस्वर
सक्रिय वर्ष1971 – वर्तमान
जालस्थलआधिकरिक वेबसाइट

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वाणी जयराम (जन्म: 30 नवंबर 1945) जिन्हें आधुनिक भारत की मीरा भी कहा जाता है, एक भारतीय गायिका हैं। वह दक्षिण भारतीय सिनेमा में एक पार्श्व गायिका के रूप में जानी जाती हैं।[१] वाणी का करियर 1971 में शुरू हुआ और चार दशकों में फैला हुआ है। वाणी अक्सर 1970 के दशक से लेकर 1990 के दशक के अंत तक भारत भर के कई संगीतकारों की पसंद रही। हिन्दी के अलावा, उन्होंने कई भारतीय भाषाओं, जैसे तेलुगू, तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, ओड़िया, गुजराती और बंगाली भाषाओं में गाया है।

वाणी ने तीन बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता और ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात राज्यों से राज्य सरकार के पुरस्कार भी जीते।[२] 2012 में, उन्हें दक्षिण भारतीय फिल्म संगीत में उनकी उपलब्धियों के लिए फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड - साउथ से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1980 में मीरा (1979) के लिये फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार भी जीता।

करियर

हिन्दी सिनेमा

वसंत देसाई के साथ वाणी के अच्छे व्यावसायिक जुड़ाव के कारण उनकी सफलता ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म गुड्डी (1971) के साथ हुई। देसाई ने वाणी को फिल्म में तीन गाने रिकॉर्ड करने की पेशकश की, जिसमें गीत "बोले रे पपीहारा", लोकप्रिय हुआ और उसने उन्हें तुरंत पहचान दी। वह हिन्दी सिनेमा के संगीत निर्देशकों में से प्रत्येक के लिए कुछ गाने गाती रहीं, जिनमें चित्रगुप्त, नौशाद (पाकीज़ा (1972) में एक शास्त्रीय गीत और आईना (1977) में आशा भोंसले के साथ एक युगल गीत), आर. डी. बर्मन (छलिया (1973) में मुकेश के साथ एक युगल गीत), कल्याणजी आनंदजी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, और जयदेव (परिणय (1974) में मन्ना डे के साथ एक युगल और सोलहवाँ सावन (1979) में एक एकल)। पंडित रविशंकर द्वारा रचित मीरा (1979) के गीत "मेरे तो गिरधर गोपाल" के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। उन्होंने इस फिल्म के लिए 12 से अधिक भजन रिकॉर्ड किए जो बेहद लोकप्रिय हुए।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ