शोक

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शोक मनाने वाली एक वृद्ध महिला।

शोक किसी विपरीत परिस्तिथि के प्रति प्रतिक्रियात्मक रूप से प्रकट होने वाला स्वभाव है, जो विशेष रूप से किसी के गुज़र जाने या जीव के मर जाने पर देखा जाता है, जिसके लिए मानव संबंध या प्यार रहा है। हालांकि पारंपरिक रूप से यह नुक़सान के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रिया है, फिर भी इसके शारिरिक, संज्ञानात्मक, स्वभावजन्य, सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और दार्शनिक आयाम हैं।

शोक किसी नुक़सान की स्वभाविक प्रतिक्रिया है। यह एक भावनात्मक पीड़ा है जो कोई व्यक्ति किसी प्रिय वस्तु या व्यक्ति के चले जाने पर अनुभव करता है। हालांकि मृत्यु-संबंधित शोक से अधिकांश लोग परिचित हैं, परन्तु लोग पूरा जीवन विभिन्न प्रकार के नुक़सान झेलते हैं जैसे कि बेरोज़गारी, खराब स्वास्थ्य या किसी संबंध का अचानक समाप्त होना।[१] नुक़सान को वास्तविक या पारंपरिक श्रेणीबद्ध किया जा सकता है,[२] जैसे कि जीवनसाथी का गुज़र जाना, जबकि कई अन्य नुक़सान काल्पनिक हो सकते हैं जो किसी व्यक्ति के सामाजिक वार्तालाप पर आधारित होते हैं।[३]

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ