२०१८ श्रीलंकाई संवैधानिक संकट

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२०१८ श्रीलंकाई संवैधानिक संकट
श्रीलंकाई गृहयुद्ध के बाद" और "2015 श्रीलंकाई राष्ट्रपति चुनाव" का एक भाग
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तिथी 26 अक्टूबर 2018 – जारी
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जगह श्रीलंका
कारण साँचा:bulleted list
विधि प्रदर्शन, कब्जे, सामान्य हड़ताल
स्थिति जारी

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नागरिक संघर्ष के पक्षकार
साँचा:flagicon/core विधायी शाखा
  • संयुक्त राष्ट्र पार्टी (यूएनपी)
  • तमिल राष्ट्रीय गठबंधन (टीएनए)
  • जनता विमुक्ति परमुना (जेवीपी)
  • तमिल प्रगतिशील गठबंधन (टीपीए)
  • श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस (एसएलएमसी)
  • अखिल सिलोन मक्कल कांग्रेस (एसीएमसी)

लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी

साँचा:flagicon कार्यकारी शाखा
  • राष्ट्रपति का कार्यालय
  • श्रीलंका स्वतंत्रता पार्टी (एसएलएफपी)
  • श्रीलंका पोडुजना पेरमुना (एसएलपीपी)
  • ईलम पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (ईपीडीपी)

सिरीसेना-राजपक्षे समर्थक रैलियाँ

Lead figures
साँचा:bulleted list साँचा:bulleted list
आहत
मौत1[१][२]
हताहत3[१]
गिरफ्तारी2[२]

श्रीलंका में एक संवैधानिक संकट शुरू हुआ, जब राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन ने 26 अक्टूबर 2018 को मौजूदा प्रधानमंत्री रानिल विक्रम सिंघे के औपचारिक बर्खास्तगी के पूर्व ही पूर्व राष्ट्रपति और संसद के सदस्य महिन्दा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप दो समवर्ती प्रधानमंत्री मौजूद है। विक्रम सिंघे और संयुक्त राष्ट्र पार्टी ने नियुक्ति को अवैध माना, और उन्होंने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है।[३]

सिरीसेना के अचानक फैसले ने "देश में राजनीतिक उथल-पुथल" को बढ़ावा दिया, और उन्हें अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।[४][२][५] विक्रमेसिंघे, संसद का बहुमत, और विपक्षी दलों ने उनके निष्कासन और राजपक्षे की नियुक्ति को स्वीकार करने से इंकार कर दिया और कहा कि सिरीसेना का कदम असंवैधानिक था।[६] विक्रमेसिंघे ने दावा किया कि उनके पास अभी भी संसद में बहुमत हैं और संसद के अध्यक्ष करू जयसूर्या से तुरंत संसद आयोजित कराने का अनुरोध किया हैं।[७] सिरीसेना ने संसद आयोजित करने के लिए सभी अनुरोधों को अनदेखा कर दिया और 27 अक्टूबर को 16 नवंबर तक संसद बैठक स्थगित कर दी।[८] राजपक्षे के प्रधानमंत्री के साथ मिल कर मंत्रियों के एक नए कैबिनेट बनाने के प्रयास में विफल होने के बाद, सिरीसेना ने 9 नवंबर को संसद भंग करने का प्रयास किया। यूएनपी ने इस कदम को असंवैधानिक घोषित कर दिया और बाद में सुप्रीम कोर्ट दिसंबर 2018 तक सिरीसेना के विघटन को रोक दिया है।[९][१०]

श्रीलंका गृह युद्ध के बाद से ही राजपक्षे श्रीलंका में एक विवादास्पद व्यक्ति रहे है।[१] राजपक्षे और उनके करीबी परिवार के लोगों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाता रहा है और वर्तमान में जांच में है। राजपक्षे परिवार के सदस्यों को लक्षित भ्रष्टाचार के मामलों के साथ ही राजपक्षे के राष्ट्रपति काल (2005-2015) के दौरान पत्रकारों और अन्य लोगों की हत्याओं की जांच का भाग्य वर्तमान संकट से जुड़ा हुआ है।[२][११]

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

  • साँचा:flagu - संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो ग्युटेरेस ने श्रीलंका की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और लोकतंत्र और संविधान का सम्मान करने के लिए कहा है।[१२]
  • साँचा:flagu - विदेश मामलों के प्रवक्ता रविेश कुमार ने 28 अक्टूबर को कहा कि "भारत श्रीलंका में हालिया राजनीतिक घटनाओं का बारीकी से आकलन कर रहा है। लोकतंत्र और करीबी दोस्ताना पड़ोसी होने के नाते, हमें उम्मीद है कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रिया का सम्मान किया जाएगा," और "भारत श्रीलंका के मित्रवत लोगों को अपनी विकास सहायता प्रदान करना जारी रखेगा।"[१३] भारत, राजपक्षे शिविर से जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ आर्थिक और राजनयिक प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।[१४]
  • साँचा:flagu - अमेरिकी विदेश विभाग के दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो ने ट्वीट किया: "हम उम्मीद करते हैं कि श्रीलंका सरकार मानव अधिकार, सुधार, जवाबदेही, न्याय और सुलह के लिए अपनी जिनेवा प्रतिबद्धताओं को कायम रखेगी।"[१५]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite web
  3. साँचा:cite web
  4. साँचा:cite web
  5. साँचा:cite web
  6. साँचा:cite web
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