प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर

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नासा द्वारा पारिभाषित प्रौद्योगिकी तत्परता के स्तर

प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (Technology readiness levels / TRL), किसी प्रौद्योगिकी के परिपक्वता के स्तर को सूचित करने वाला एक संख्यात्मक मान है जो यह बताता है कि वह प्रौद्योगिकी कितनी परिपक्व हो चुकी है। इस प्रकार यह किसी प्रौद्योगिकी की परिपक्वता के स्तर का मूल्यांकन (मापन) करने में सहायक होती है। अतः इसे 'प्रौद्योगिकी परिपक्वता स्तर' भी कह सकते हैं। प्रौद्योगिकी तत्परता के स्तरों के निर्धारण लिए कुछ प्राचल (पैरामीटर्स) सुझाए गए हैं जिनकी वर्तमान स्थिति के आधार पर किसी भी प्रौद्योगिकी परियोजना के तत्परता के स्तर का मूल्यांकन किया जा सकता है।

मूलतः नासा ने १९७४ में यह संकल्पना दी और प्रौद्योगिकी परिपक्वता के ९ स्तरों की पहचान की। नासा, TRL का उपयोग १९८० के दशक के बाद व्यापक रूप से करता आ रहा है। उसके बाद अनेकानेक संस्थाओं ने इसका उपयोग करना आरम्भ किया। सन २०१३ में अन्तरराष्ट्रीय मानक संगठन (आईएसओ) ने इसे ISO 16290:2013 मानक का नाम दिया।

उपयोग

प्रौद्योगिकी परिपक्वता स्तर के समुचित निर्धारण एवं ज्ञान से प्रबन्धन को प्रौद्योगिकी के विकास की दिशा तय करने तथा प्रौद्योगिकी के हस्तानान्तरण से सम्बन्धित निर्णय लेने में सुविधा होती है। प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर के निम्नलिखित लाभ हैं-

  • (१) TRL के उपयोग से विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियों की परिपक्वता की स्थिति का ज्ञान होता है तथा उसके बारे में एकसमान और वस्तुनिष्ट चर्चा की जा सकती है।
  • (२) किसी नयी प्रौद्योगिकी को अंगीकार करने से सम्बन्धित खतरे का स्तर क्या है, इसका ज्ञान रहता है।
  • (३) प्रौद्योगिकी के विकास के लिए वित्तपोषण (फण्डिंग) से सम्बन्धित निर्णय लेने में सुविधा
  • (४) प्रौद्योगिकी के हस्तान्तरण से सम्बन्धित निर्णय लेने में सुविधा

इससे निम्नलिखित हानियाँ हो सकतीं हैं-

  • (१) तत्परता स्तर का इस बात कोई स्म्बन्ध नहीं है कि सम्बन्धित प्रौद्योगिकी उपयुक्त है या नहीं।
  • (१) अधिक रिपोर्ट, कागजी काम, जर्नल आदि
  • (२) अपेक्षाकृत यह नयी संकल्पना है। वर्तमान प्रणाली को प्रभावित करने में समय लगेगा।
  • (३) आरम्भिक परिपक्वता स्तरों पर सिस्टम्स इंजीनियरी काम नहीं करती।
  • (४) वर्तमान TRL मॉडल सम्बन्धित प्रौद्योगिकी के नकारात्मक प्रभावों तथा अप्रचलन (obsolescence) को महत्व नहीं देता। इन बातों का भी ध्यान रकने के सुझाव दिए गए हैं।

परिपक्वता के स्तर

सबसे पहले नासा ने १९७४ में 'प्रौद्योगिकी परिपक्वता स्तर' का विचार दिया और १९८९ में इसकी परिभाषा की। पहले केवल सात स्तर बताए गए थे किन्तु १९९० के दशक में इसके लिए नौ-स्तरीय पैमाना बनाया गया जो आज भी चल रहा है। उसके बाद अनेक अन्य संस्थाओं ने भी इस दिशा में काम किए। अमेरिका के रक्षा विभाग तथा यूरोपीय यूनियन ने भी अपनी-अपनी परिभाषाएँ दी है जो बहुत कुछ मिलती-जुलती हैं।

नासा द्वारा प्रतिपादित प्रौद्योगिकी परिपक्वता के ९-स्तर

नासा ने प्रौद्योगिकी तत्परता के ९ स्तर बताए हैं जिन्हें संक्षेप में TRL1, TRL2, ...TRL9 नाम दिए गए हैं। TRL1 सबसे कम परिपक्वता स्तर है जबकि TRL9 सूचित करता है कि वह प्रौद्योगिकी सबसे अधिक परिपक्व हो चुकी है।

टीआरएल 1: मूलभूत कार्यात्मक सिद्धान्तों का निरीक्षण और विवरण का कार्य पूरा हो चुका है।

टीआरएल 2: प्रौद्योगिकी के सम्भावित अनुप्रयोग पता कर लिए गए हैं।

टीआरएल 3: विश्लेषण या/और प्रयोग द्वारा प्रौद्योगिकी की कार्यक्षमता (Proof-of-Concept) प्रदर्शित

टीआरएल 4: प्रयोगशाला में प्रायोगिक सेटअप द्वारा पुष्टि

टीआरएल 5: वास्तविक स्थितियों में या सिमुलेट की गयी वास्तविक-जैसी स्थितियों में प्रायोगिक सेटअप द्वारा पुष्टि

टीआरएल 6: कृत्रिम (सिमुलेटेड) स्थितियों में प्रोटोटाइप सिस्टम की कार्यक्षमता का प्रदर्शन (System or subsystem model or prototype demonstrated in a relevant environment)

टीआरएल 7: अन्तरिक्ष की परिस्थितियों में प्रोटोटाइप सिस्टम के कार्यक्षमता का प्रदर्शन किया जा चुका है।

टीआरएल 8: वास्तविक प्राणाली का विकास पूर्ण, जाँच एवं प्रदर्शन के माध्यम से 'उड़ान' के योग्य प्रमाणित हो चुकी है।

टीआरएल 9: प्रणाली को सफलतापूर्वक चलाकर इसकी विश्वसनीयता प्रमाणित की जा चुकी है। [१]

अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा प्रतिपादित तत्परता सूचकांक

स्तर परिभाषा रक्षा विभाग द्वारा दिया गया विवरण
1 मूलभूत सिद्धान्तों का निरीक्षण करके विवरण लिखे जा चुके हैं। यह प्रौद्योगिकी तत्परता का न्यूनतम स्तर है। Scientific research begins to be translated into applied research and development. Examples might include paper studies of a technology’s basic properties.
2 Technology concept and/or application formulated. Invention begins. Once basic principles are observed, practical applications can be invented. Applications are speculative and there may be no proof or detailed analysis to support the assumptions. Examples are limited to analytic studies.
3 Analytical and experimental critical function and/or characteristic proof of concept. Active research and development is initiated. This includes analytical studies and laboratory studies to physically validate analytical predictions of separate elements of the technology. Examples include components that are not yet integrated or representative.
4 Component and/or breadboard validation in laboratory environment. Basic technological components are integrated to establish that they will work together. This is relatively “low fidelity” compared to the eventual system. Examples include integration of “ad hoc” hardware in the laboratory.
5 Component and/or breadboard validation in relevant environment. Fidelity of breadboard technology increases significantly. The basic technological components are integrated with reasonably realistic supporting elements so it can be tested in a simulated environment.
6 System/subsystem model or prototype demonstration in a relevant environment. Representative model or prototype system, which is well beyond that of TRL 5, is tested in a relevant environment. Represents a major step up in a technology’s demonstrated readiness.
7 System prototype demonstration in an operational environment. Prototype near, or at, planned operational system. Represents a major step up from TRL 6, requiring demonstration of an actual system prototype in an operational environment such as an aircraft, vehicle, or space.
8 Actual system completed and qualified through test and demonstration. Technology has been proven to work in its final form and under expected conditions. In almost all cases, this TRL represents the end of true system development. Examples include developmental test and evaluation of the system in its intended weapon system to determine if it meets design specifications.
9 वास्तविक सिस्टम को पूर्ण करके उसको वास्तविक परिस्थितियों में सफलतापूर्वक चलाया जा चुका है। Actual application of the technology in its final form and under mission conditions, such as those encountered in operational test and evaluation. Examples include using the system under operational mission conditions.

( Defense Acquisition Guidebook (DAG) – अध्याय 10 से)

सन्दर्भ