बीएआईएफ़

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बीएआईएफ़ डेवलप्मेंट रिसर्च फ़ाउन्डेशन या बीएआईएफ़ विकास अनुसंधान फ़ाउन्डेशन महाराष्ट्र में पुणे के निकट उरुळी कांचन में स्थित एक पुरस्कार-प्राप्त दान संस्था है जो खेती में विकास की दिशा में पहल करती है। इसकी स्थापना १९६७ में मणिभाई देसाई ने भारतीय ऐग्रो इंड्स्ट्रीज़ फ़ाउन्डेशन के तौर पर की थी। फ़ाउन्डेशन की मुख्य गतिविथियों में उसके स्थापना इतिहास से उच्च-कोटि के दूध देने वाले गायों को बढ़ावा देना है। इसमें कुछ यूरपीय गायों और भारतीय गायों के बीच संकरण भी शामिल था।

पुरस्कार

१९९७ में संस्था को महाराष्ट्र सरकार द्वारा आदिवासी सेवा संस्था पुरस्कार प्रादान किया गया।

निर्माण और वैपकोल

बीएआईएफ़ महाराष्ट्र की एक युवा संस्था निर्माण के लिए मूल संस्था है।[१] वैपकोल (VAPCOL - Vasundhara Agri-Horti Producer Co. Ltd.) कई राज्य में मौजूद एक भूतपूर्व संस्था है जिसे कम्पनी अधिनियम के अंतरगत एक उत्पादक के रूप में पंजीकृत किया गया है। वैपकोल एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसे बीएआईएफ़ का समर्थन प्राप्त है। वर्तमान रूप से वैपकोल की अपना एक निजी जालस्थल, फ़ेसबुक पन्ना और वितरण जालक्रम से बिक्री तथा ऑनलाइन बिक्री है।

आलोचना

बीएआईएफ़ के आलोचक इस बात पर बल देते हैं कि आयातित गायों की नसलें भारतीय गायों की नसलों के सफ़ाए में सहायक हो रही हैं। [२]

द हिन्दू समाचार पत्र में पी साईनाथ ने दलील पेश की है कि संकरण से उभरने वाली गाय अधिक दूध देती है, पर उसका खानपान भी अधिक होता है और इस प्रकार की गाय भारतीय वातावरण के लिए अनुकूल नहीं है।[३]

और पढ़ने के लिए

  • Dhruva, case study report at Indian Society of Agribusiness Professionals[४]

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. महाराष्ट्र ज्ञान कॉर्पोरेशन
  2. साँचा:cite journal
  3. साँचा:cite news
  4. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।