इब्राहिम मोहम्मद सोलिह
इब्राहिम मोहम्मद सोलिह އިބްރާހީމް މުޙައްމަދު ޞާލިޙު | |
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पद बहाल 17 नवम्बर 2018 | |
उप राष्ट्रपति | फैसल नसीम (निर्वाचित) |
उत्तरवर्ती | अब्दुल्ला यामीन |
जन्म | साँचा:br separated entries |
राजनीतिक दल | मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी साँचा:small |
जीवन संगी | फ़ज़ना अहमद |
बच्चे | 2 |
निवास | माले |
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इब्राहिम मोहम्मद सोलिह (साँचा:lang-dv; साँचा:lang-ar; जन्म 4 मई 1964) एक मालदीवी राजनीतिज्ञ हैं,[१] जो कि मालदीव राष्ट्रपति चुनाव, 2018 के परिणामों के बाद देश के राष्ट्रपति चुने गये हैं। उनका कार्यकाल 17 नवम्बर 2018 से प्रारम्भ होगा।
वह 1994 में पहली बार अपने गृह प्रवालद्वीप फाधिहपोल्हू से सांसद बने। मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के गठन तथा 2003 से 2008 तक चले मालदीव राजनीतिक सुधार आन्दोलन में सोलिह का एक महत्वपूर्ण योगदान था जिसके कारण देश के इतिहास में पहली बार नया संविधान तथा बहुदलीय लोकतंत्र प्रणाली को ग्रहण किया गया।[२]
प्रारम्भिक तथा व्यक्तिगत जीवन
सोलिह का जन्म हिन्नावारू द्वीप पर हुआ था मगर शिक्षा-दीक्षा हेतु वे राजधानी द्वीप माले आ गये और उसके बाद वे वहीं के निवासी हो गये। वे अपने माता पिता की तेरह सन्तानों में से एक थे। उन्होंने फ़ज़ना अहमद से शादी की है जिनसे उन्हें एक पुत्र व पुत्री है, जिनके क्रमशः सारा और यमन नाम हैं।[३]
सोलिह पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के निकटतम मित्र हैं, जो कि उनकी पत्नी फ़ज़ना के भतीजे भी हैं। सोलिह और नशीद ने मालदीव में बहुदलीय लोकतंत्र की स्थापना हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
राजनैतिक यात्रा तथा 2018 राष्ट्रपति चुनाव अभियान
सोलिह मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के संसदीय दल के 2011 से नेता हैं।[४] सोलिह को मोहम्मद नशीद के चुनाव लड़ने से मना करने तथा विपक्षी दलों द्वारा 2018 चुनावों अब्दुल्ला यामीन को राष्ट्रपति की गद्दी से हटाने की मांग के बीच राष्ट्रपति पद के उम्मीद्वार बने।[५] इन चुनावों में सोलिह को 58.3% मतों व 38,500 मत के बहुमत के साथ यामीन के ऊपर विजय मिली।[६] इन चुनावों में कई विदेशी पर्यवेक्षकों ने यामीन के पक्ष में धांधली की आशंका जताई थी, जिसके कारण यह माना जा रहा था कि वह दोबारा देश के राष्ट्रपति बन सकते हैं। परन्तु जब मतगणना हुई तो सोलिह की जीत हुई और यामीन उन्हें देश की सत्ता सौंपने को तैयार हो गये।[६]
इन चुनावों का प्रमुख मुद्दा यही था कि मालदीव को चीन से अपनी निकटता बढ़ानी चाहिये अथवा भारत तथा पश्चिमी देशों (विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका से। यामीन ने अपने शासनकाल में चीन को भारत तथा पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक महत्त्व दिया जिसका एमडीपी सहित पूरे विपक्ष ने जोरदार विरोध किया।[६]
सन्दर्भ
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