पवित्र उपवन
"पवित्र उपवन " यह एक पर्यावरणीय संकल्पना है | इसे अंग्रेजी भाषा में (Sacred Grove) सेक्रेड ग्रोव थी मराठी भाषा में देवराई नामसे जाना जाता है |[१] भारतमें तथा विदेश में भी इस उपवन की संकल्पना है | विदेशमें इसे "चर्च फॉरेस्ट" नामसे जाना जाता है|[२]
विशेषता
इस उपवन की विशेषता यह है की यह उपवन जिस गाँवके करीब होता ही उस गाँवके लोग उसे संभालते है | शासकीय व्यवस्था का इस प्रक्रियामें सहभाग नहीं होता| यह उपवन किसी देवताका निवासस्थान मानाजाता है और उसकी पवित्रता संभाली जाती है |[२]
प्राचीनता
पाषाण युगके कालसे यह पवित्र संकल्पना समाजमें स्वीकृत की गई है ऐसी मान्यता है | खेतीके लिए जब पेड़ काटना शुरू हुआ उसी कालमें पेड़ बचानेके लिए इस संकल्पना की स्वीकर किया गया होगा ऐसी संभावना है |[३]
राज्यनुसार पवित्र उपवनके लिए विभिन्न नाम
- कर्नाटक: देवरकडू, नागबन, नागकुडू
- राजस्थान: जोगमाया, शरणवन, अभयस्थान
- बिहार : सरण्य
- उड़ीसा : जाहेर
- महाराष्ट्र : राय, राई, देवराई
- छत्तीसगढ :सरणा, जाईनाथा
- केरल : सर्पकाऊ, नागरकाऊ
- तमिल नाडु कोविलकाडू, शोला
इनके अलावा देवरहाटी, देवरकंड, सिद्दरवनम, ओरांस यह नाम भी प्रसिद्ध है | [४]
महत्व
यह उपवन भगवानको समर्पित हेतू लोग इस उपवन में पेड़की कटाई नही करते| यहाँ उगनेवाले हर एक पत्ता, पौधा, फूल इसपे भगवान का अधिकार होता है ऐसा माना जाता है | इसी कारण प्रकृतिके संरक्षण के महत्वपूर्ण कार्यमें सुविधा होती है | इस उपवन को विभिन्न प्रजाति के पशु पक्षी कीटकअपना निवासस्थान बनाते है | विभिन्न प्रकारके जड़ीबूटी भी इन उपवनोमें पायी जाती है | इससे उपवनकी प्राकृतिक महत्ता ध्यानमें आती है |[२]
संशोधन का महत्त्व
पुणे स्थित डेक्कन महाविद्यालय के संशोधक डॉ। धर्मानंद कोसंबी तथा डॉ वा.द. वर्तक, डॉ. माधव गाडगीळ कैलास मल्होत्रा आदी विद्वत जनोंने पुरातत्वशास्त्र, भारतविद्या के अनुसार इन पवित्र उपवनोंका संशोधन कार्य किया है |[५]
भारतके प्रसिद्ध पवित्र उपवन
पूरे भारवर्ष में हिमालय की पर्वतश्रेणी तथा कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गोवा इन प्रदेशमें पवित्र उपवन पाए जाते है |
विदेशमें पवित्र उपवन
ग्रीस, रोम ,नाइजेरिया यहां पवित्र उपवन स्थित है|[६]
बाहरी कड़ियाँ
पवित्र उपवन (अंग्रेजी)[७]
सन्दर्भ
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- ↑ डॉ.हेमा साने, डॉ. विनया घाटे, भवताल द्वैमासिक (दिवाळी विशेषांक) २०१७
- ↑ डॉ.गोखले योगेश, भवताल द्वैमासिक, (दिवाळी विशेषांक) २०१७
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ डॉ.तेरवाडकर शार्दुली,भवताल द्वैमासिक (दिवाळी विशेषांक) २०१७
- ↑ Ray, Subash Chandran and Ramachandra (issue ३२). "Sacred Grove: Nature Conservation Tradition of the Ancient World". Archived from the original on 6 अक्तूबर 2018. Retrieved 23 सितंबर 2018.
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