पञ्चशिख
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित ०३:२३, १५ जून २०२० का अवतरण (Rescuing 2 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1)
पञ्चशिख, सांख्य दर्शन के एक प्रधान आचार्य थे जिनका वर्णन महाभारत के शान्तिपर्व में आया है। ये कपिल की शिष्यपरंपरा में आसुरि के शिष्य थे। इनका उलेख वामनपुराण, कूर्मपुराण और वायुपुराण तथा तर्पण विधि में प्रतिष्ठित आचार्य के रूप में हुआ है है। महाभारत में तो इनके वंश और जीवन सम्बन्धी कई घटनाओं का वर्णन मिलता है।
सांख्य सूत्रों में इनके मत का उल्लेख मिलता है। इनको लोग 'द्वितीय कपिल' कहते हैं।
तर्पण विधि के 'मनुष्य तर्पण' में पञ्चशिख का भी नाम है-
- ॐ संकश्च सनन्दश्च तृतीयश्च सनातनः
- कपिलश्चासुरिश्चैव वोढुः पञ्चशिखस्तथा
- सर्वे ते तृप्तिमायान्तु मद्दत्तेनाम्बुना सदा ॥
- (सनक, सनन्द, सनातन, कपिल, आसुरि और पञ्चशिख सभी मेरे द्वारा अर्पित इस जल से सदा तृप्तिमान हों।)
सुरेन्द्रनाथ दासगुप्त अपने 'अ हिस्ट्री ऑफ इण्डियन फिलॉसफी' में कहते हैं कि महाभारत में पंचशिख ने सांख्य का जो विवरण दिया है, उससे चरकसंहिता का विवरण मिलता-जुलता है।