जीवित जड़ सेतु

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जीवित जड़ सेतु
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पूर्वी खासी हिल्स जिले में दोहरा जड सेतु
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प्रतिप्रवाह सेतुलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
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लक्षण
सामग्रीलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
गर्त निर्माणपाषाण
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चौड़ाईलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
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वहन क्षमता५०० लोग तक
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अधिकतम आयुकाल५०० वर्षों से अधिक
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रेल
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इतिहास
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ध्वस्त हुआलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
जिसे हटाकर बनालुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
जो इसके स्थान पर बनालुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
सांख्यिकी
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जीवित जड़ सेतु भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय के दक्षिणी भाग स्थित स्थानीय जनजाति के लोगों द्वारा जीवित वृक्षों की जड़ों से बनाये गये पुल हैं। जीवित वृक्षों की जड़ो को अनुवर्धित कर इन्हें जलधारा के आर पार एक सुदृण पुल में परिवर्तित कर देते हैं।[१] समय के साथ ये और भी मजबूत होते जाते हैं। ये पुल मेघालय के चेरापूँजी, नोन ग्रेट,लात्संयू आदि स्थानों पर देखे जा सकते हैं।

मेघालय के जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग वहां उगने वाले बृक्षों की जड़ों और शाखाओं को एक दूसरे से सम्बद्ध कर पुल का रूप दे देते हैं। इस प्रकार के पुल ही जीवित जड़ पुल कहलाते हैं। इनको बनाने में रबर फ़िग (फ़ाइकस इलास्टिका[२][३]) वृक्ष की हवाई जडों का प्रयोग किया जाता है और इनका निर्माण खासी एवं जयन्तिया जनजाति के लोग ही किया करते हैं। [४][५]हम इस पेड को रबर के पेड की श्रेणी का भी मान सकते हैं । ऐसे पुलो में से कुछ की लम्बाई सौ फुट तक है । जहां खासी लोगो को जरूरत होती है इस पेड की जडो को वे दिशा देते हैं और काफी समय भी । बहुत सालो में जाकर ये पेड इस स्थिति में आ जाते हैं कि दोनो किनारो के पेडो की जडें आपस में बंध जाती हैं । ये इतने जानदार भी होते हैं कि 50 लोगो का वजन एक साथ सह सकते हैं

ऐसे सेतु नागालैण्ड में भी मिलते हैं।[६]  भारत के अलावा इंडोनेशिया में जेम्बाटन अकार द्वीप पर सुमात्रा, और जावा के बन्तेन प्रान्त में बादुय लोगों द्वारा भी ऐसे सेतु बनाये जाते हैं।[७] [८]

चित्र दीर्घा

संदर्भ

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बाहरी सूत्र ==