शान्तिदेव

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शान्तिदेव एक बौद्ध नैयायिक थे। वे कर्म से उपासक, धर्म से साधक और मन से माध्यमिक-मत के सशक्त उपदेशक थे । बुद्ध के समान ये भी बचपन से ही एक विरक्त प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। तारादेवी नामक किसी सात्त्विक महिला की सत्प्रेरणा से इन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था । मञ्जुश्री की सदनुकम्पा से इन्होंने बौद्ध-धर्म की दीक्षा ली । यही जयदेव धर्मपाल के पश्चात् नालन्दा के पीठस्थविर बने । (टी॰ आर॰ वी॰ मूर्ति विरचित सेन्ट्रल फिलोसॉफी ऑफ बुद्धिज्म, में) इनका समय 691 ई॰ से 743 ई॰ स्वीकार किया गया है । इनकी तीन रचनाएँ उपलब्ध हैं - (1) शिक्षा समुच्चय (2) सूत्रसमुच्चय (3) बोधिचर्यावतार ।