गुड्डू
गुड्डु گُڈو | |
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निर्देशक | प्रेम लालवानी[१] |
निर्माता | प्रेम लालवानी |
लेखक | अबरार अल्वी |
अभिनेता |
शाहरुख खान मनीषा कोइराला दीप्ति नवल |
संगीतकार | नौशाद |
प्रदर्शन साँचा:nowrap |
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देश | भारत |
भाषा | हिंदी |
लागत | ₹२ करोड़ (US$२,६२,४६८.९६)[२] |
गुड्डू (अंग्रेजी : Guddu) 1995 बॉलीवुड की एक रोमांस फिल्म है, जो अबरार अल्वी द्वारा लिखी गई है और प्रेम लालवानी द्वारा निर्देशित है। फिल्म में शाहरुख खान, मनीषा कोइराला, दीप्ति नवल, मुकेश खन्ना और महमूद कलाकार हैं। इसका संगीत नौशाद द्वारा रचा गया था। जब फिल्म जारी की गई थी, शाहरुख 29 साल के और मनीषा 25 साल की थीं।
कहानी
गुड्डू बहादुर (शाहरुख खान) बहादुर परिवार में एकमात्र बच्चा है, जिसमें एडवोकेट विक्रम (मुकेश खन्ना) और उनकी पत्नी कविता (दीप्ति नवल) शामिल हैं। जहाँ कविता एक भक्त और एक धार्मिक हिंदू है, वहीँ विक्रम एक नास्तिक है। गुड्डू और सलीना गुप्ता (मनीषा कोईराला) एक दूसरे से प्यार करते हैं। एक दिन गाड़ी चलते समय एक दुर्घटना होती है और सलीना उसकी दृष्टि खो देती है। गुड्डू खुद को दोषी मानते हैं और इसलिए सलीना के माता-पिता द्वारा गुड्डू को सलीना से दूर रहने के लिए कहा जाता है। सलीना खुद जानती है कि दुर्घटना गुड्डू की गलती नहीं हुई थी, लेकिन गुड्डू से मिलने और उसके लिए बोझ नहीं होना चाहती थी। गुड्डू अपने परिवार के डॉक्टर और उनके पिता के बीच वार्तालाप सुनाते हैं और उन्हें पता चल जाता है कि उसको ब्रेन ट्यूमर है और उसके पास जिन्दा रहने के लिए केवल कुछ और महीने हैं। वह अस्पताल में अपनी आँखें दान करना चाहता है, ताकि सलीना को उनसे फायदा हो सके, लेकिन उनके पता है की उसके पिता भी इस पर विचार नहीं करेंगे। स्थिति बदतर मोड़ लेती हैं जब गुड्डू ने अपनी आंखों को दान के अधिकार के लिए अदालत में जाने का फैसला करता है। कविता अपने पति की बीमारी और बेटे की बीमारी का आघात सहन नहीं कर पाती है, इस तरह वह पांच दिनों तक पानी का एक घूंट पिए बिना खुद को भगवान को समर्पित करने का फैसला करती है। उसकी प्रार्थनाओं का जवाब मिलता है और उसके पति की जान बचाई जाती है और उसके बेटे का ऑपरेशन सफल होता है। प्रार्थना करते समय वह देवताओं के चरणों में दम तोड़ देती है और उसकी आँखें सलीना को दान में मिल जाती हैं। सलीना और गुड्डू शादी करते हैं और जुड़वा बच्चों को जन्म देकर खुशी से रहते हैं।
कलाकार
- शाहरुख खान गुड्डू बहादुर के रूप में : शाहरुख खान, गुड्डू बहादुर के रूप में एक नास्तिक लड़के का किरदार अदा करते हैं जो सलीना गुप्ता अर्थात मनीषा कोइराला से बहुत प्यार करता है।
- मनीषा कोइराला के रूप में सलीना गुप्ता : मनीषा कोइराला, सलीना गुप्ता के रूप में गुड्डू बहादुर अर्थात शाहरुख खान से प्यार करती हैं। एक दुर्घटना में उनकी दोनों ऑंखें चली जाने के कारण वह गुड्डू बहादुर से दूरी बनाने का प्रयास करती हैं किन्तु गुड्डू बहादुर उनसे दूर नहीं जा पाता है।
- दीप्ति नवल कविता बहादुर के रूप में : कविता बहादुर के रूप में दीप्ति नवल, गुड्डू बहादुर की माँ का किरदार अदा करती हैं, जिनकी मृत्यु के पश्चात् उनकी ऑंखें सलीना गुप्ता को दी जाती हैं ताकि उसकी गुड्डू बहादुर से शादी हो सके।
- मुकेश खन्ना एडवोकेट विक्रम बहादुर के रूप में : मुकेश खन्ना, एडवोकेट विक्रम बहादुर तथा गुड्डू बहादुर के पिता का किरदार निभाते हैं। एडवोकेट विक्रम बहादुर की बीमारी के समय उनकी पत्नी कविता बहादुर अर्थात दीप्ति नवल पांच दिन तक अन्न-जल ग्रहण न करने का प्रण लेती हैं ताकि उनके पति व पुत्र का स्वास्थ्य ठीक हो जाए। किन्तु इस दौरान उनकी मृत्यु हो जाती है, हालाँकि उनकी पति व पुत्र का स्वास्थ्य ठीक हो जाता है।
- अशोक सर्राफ बलिया के रूप में
- श्यालदार सूरज के रूप में
संगीत
अनाम |
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फिल्म के लिए साऊंडट्रैक नौशाद और मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा लिखे गए गीतों से बना था। साउंडट्रैक में 7 गाने हैं, जिनमें लता मंगेशकर, कुमार शानू, देवकी पंडित, मोहम्मद अजीज, साधना सरगम, माजिद शोला और सुरेश वाडकर के गायन शामिल हैं। फिल्म के गीत इस प्रकार हैं :-
- हम दोनों पंछी - कुमार सानू, देवकी पंडित
- डैडी से पूछ लेना - कुमार सानू, देवकी पंडित
- दिल है प्यारे - कुमार सानू, साधना सरगम
- गुलाशन-गुलशन काली-काली - सुरेश वाडकर, देवकी पंडित
- मेरे तो राधेश्याम - लता मंगेशकर
- प्यार मेरा जिंदगी - कुमार सानू, देवकी पंडित
- दिल कहे हर दम - सुरेश वाडकर, मोहम्मद अजीज, माजिद शोला