हरि पर्वत
साँचा:infoboxसाँचा:main other हरि पर्वत भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में डल झील के पश्चिम ओर स्थित है। इस छोटी पहाड़ी के शिखर पर इसी नाम का एक किला बना है जिसका अनुरक्षण जम्मू कश्मीर सरकार का पुरातत्व विभाग के अधीन है। इस किले में भ्रमण हेतु पर्यटकों को पहले पुरातत्त्व विभाग से अनुमति लेनी होती है। क़िले का निर्माण एक अफ़ग़ान गर्वनर मुहम्मद ख़ान ने १८वीं शताब्दी में करवाया था। उसके बाद १५९० ई॰ में मुग़ल सम्राट अकबर द्वारा इस क़िले की चहारदीवारी का निर्माण करवाया गया।[१]
पौराणिक सन्दर्भ
एक पौराणिक कथा के अनुसार, पौराणिक काल में यहां एक बड़ी झील हुआ करती थी, जिस पर जालोभाव नामक दैत्य का अधिकार था। वह राक्षस लोगों को खूब सताता था। तब लोगों ने भगवान शिव की अर्धांगिनी एवं कश्मीर की अधिष्ठात्री देवी माता सती से सहायता की प्रार्थना की। तब सती माता एक चिड़िया का रूप धारण करके प्रकट हुईं एवं उस राक्षस के सिर पर एक छोटा सा पत्थर रख दिया जो धीरे-धीरे आकार में बढ़ता गया और राक्षस का सिर कुचल गया।[२]
अनुरक्षण एवं पर्यटन
वर्तमान काल में इस क़िले का अनुरक्षण जम्मू और कश्मीर सरकार का पुरातत्वब विभाग के अधीन है। यहां की यात्रा व सैर के लिए पर्यटकों को विभाग से अनुमति होती पड़ती है। इसी पर्वत पर एक बड़ा मन्दिर भी है जिसे शारिका देवी मन्दिर कहते हैं। इसके अलावा इसी पर्वत पर एक गुरुद्वारा भी स्थित है। इसे छट्टी पादशाही का गुरुद्वारा भी कहते हैं जो रैनावाड़ी में स्थित है। कहते हैं छठे सिख गुरु हरगोबिन्द सिंह यहां पधारे थे।[३]
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