काकरापार परमाणु ऊर्जा संयन्त्र
काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र Kakrapar Atomic Power Station | |
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देश | भारत |
स्थिति | कार्यरत |
निर्माण शुरू | 1984साँचा:wikidataOI |
नियुक्त करने की तारीख | 6 मई 1993साँचा:wikidataOI |
नियुक्त से बाहर करने की तारीख | साँचा:wikidataOI |
निर्माण लागत | साँचा:wikidataOI |
स्वामित्व | लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।साँचा:wikidataOI |
संचालक | भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेडसाँचा:wikidataOI |
परमाणु ऊर्जा स्टेशन | |
रिएक्टर प्रकार | दाबित भारी जल रिएक्टर (PHWR) |
विद्युत उत्पादन | |
इकाइयाँ परिचालन | 2 × 220 MW |
निर्माण के तहत इकाइयाँ | 2 × 700 MW |
नेमप्लेट क्षमता | 440 MW |
वार्षिक शुद्ध उत्पादन | 3.72 Billion Unit (10.2 Million units per day) |
वेबसाइट Nuclear power Corporation of India Ltd |
काकरापार परमाणु ऊर्जा संयन्त्र, भारत का एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र है जो गुजरात में सूरत और तापी नदी के समीप स्थित है। यहाँ पर 220 मेगावाट क्षमता के दो परमाणु रिएक्टर हैं, जो दाबित भारी जल रिएक्टर हैं। इसकी पहली ईकाई (KAPS-1) ३ सितम्बर १९९२ में क्रान्तिक (क्रिटिकल) हुई थी तथा मइ १९९३ से वाणिज्यिक स्तर पर विद्युत उत्पादन आरम्भ हो गया था। दूसरी ईकाई (KAPS-2) जनवरी १९९५ में क्रांतिक हुई और १ सितम्बर १९९५ से वाणिज्यिक स्तर पर विद्युत उत्पादन आरम्भ हो गया। वर्ष २००३ में काण्डू ओनर्स ग्रुप (CANDU Owners Group (COG)) ने इस संयंत्र को 'सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाला दाबित जल रिएक्टर' घोषित किया था।
तीसरी इकाई (KAPS-3), १० जनवरी २०२० को ग्रिड से जोड़ी गयी थी। मार्च २०२१ तक इसका वाणिज्यिक संचालन होने की सम्भावना है।
કાકરાપાર સુરત માં આવેલું છે
काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र-३
काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना की तीसरी इकाई (KAPP-3) भारतीय घरेलू असैनिक परमाणु कार्यक्रम के लिये एक बड़ी उपलब्धि है। यह भारत पहली 700 मेगावाट विद्युत इकाई होने के साथ स्वदेशी तकनीक से विकसित PHWR की सबसे बड़ी इकाई है। PHWR में प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन और भारी जल (D2O) को शीतलक के रूप में प्रयोग किया जाता है। अब तक भारत में स्वदेशी तकनीक से विकसित PHWR की सबसे बड़ी इकाई मात्र 540 मेगावाट की थी (महाराष्ट्र के तारापुर संयत्र में)। KAPP-3 के निर्माण कार्य वर्ष 2011 में शुरू होने के बाद मार्च 2020 के मध्य में इसमें ईंधन भरे जाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
इस ईकाई में ‘स्टील लाइंड इनर कंटेंटमेंट’, निष्क्रिय क्षय ऊष्मा निष्कासन प्रणाली, रोकथाम स्प्रे प्रणाली, हाइड्रोजन प्रबंधन प्रणाली आदि जैसी उन्नत सुरक्षा सुविधाएँ उपलब्ध हैं।