बात, अल-खुतुम और अल-आइन के पुरातत्व स्थल

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युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
बात, अल-खुतुम और अल-आइन के पुरातत्व स्थल
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बात, अल-खुतुम और अल-आइन के पुरातत्व स्थल, तीसरी सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व के महत्वपूर्ण कब्रिस्तान समूह हैं जो एक तालाब के पास स्थित हैं। 1988 में यूनेस्को द्वारा इन्हें विश्व धरोहर घोषित किया गया था।

विवरण

पिछले 15 वर्षों के दौरान हुए अध्ययनों से फारस की खाड़ी से लेकर ओमान की खाड़ी तक कई मानव बस्तियों के अस्तित्व का पता चला है।

बात

बात का स्थल एक ताड़ कुंज के भीतर स्थित है। लगभग 3000 ईसा पूर्व में यहाँ तांबे (स्थानीय रूप से निकाले गए) और पत्थर (शायद डायरीट) का सुमेरियों के साथ व्यापार किया जाता था। कई सुमेरियाई ग्रंथों, जैसे कि गिलगामेश का महाकाव्य में इसे दिलमुन कहा गया है। इस गोरिस्तान में लगभग 100 कब्रें और 20 मीटर के व्यास की वृताकार इमारतें मौजूद हैं। इन इमारतों में कोई निकास नहीं था इसलिए यह शायद बावड़ी या भंडारघर हो सकते हैं, लेकिन इनका उद्देश्य सुनिश्चित नहीं है। 1972 में, करेन फ्रिफ्ट के नेतृत्व में एक डेनिश टीम द्वारा की गई खुदाई से पता चला कि यह शहर लगभग 4000 वर्षों तक लगातार बसे हुए थे।

अल-खुतुम

अल-खुतुम में स्थित भग्नावशेष मूल रूप से एक पत्थर का किला हैं, यह 20 मीटर व्यास का एक पत्थर से बना बुर्ज है। यह 'बात' से 2 किमी दूर पश्चिम में स्थित है।

अल-आइन

अल-आइन एक छोटा सा कब्रिस्तान है और इन तीनों स्थलों में से सबसे अच्छी हालत में है। यह 'बात' से लगभग 22 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में स्थित है।

संरक्षण

यूनेस्को द्वारा प्रदत्त संरक्षण से पहले इन स्थलों का कभी भी जीर्णोद्धार अन्य किसी भी प्रकार की मरम्मत नहीं की गयी, इसलिए इनका अलग-थलग रहना ही इनकी एकमात्र सुरक्षा थी। इन स्थलों को सबसे अधिक खतरा उन स्थानीय लोगों से है जो इन पुरातात्विक स्थलों से पत्थर, भवन निर्माण सामग्री के रूप में उठा कर ले जाते हैं।[१]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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