आईएनएस विशाल

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित १६:०१, २७ सितंबर २०२० का अवतरण (Rescuing 1 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.7)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
देश (भारत) साँचा:shipboxflag
नाम: आईएनएस विशाल
विनियुक्त: 2025 (अपेक्षित)[१]
स्थिति: योजना (डिजाइन चरण)
सामान्य विशेषताएँ
वर्ग एवं प्रकार: विक्रांत श्रेणी के विमान वाहक
विस्थापन: 65,000 टन[२][३]
प्रणोदन: नाभिकीय[३][४]
Aircraft carried: 50-55 फिक्स्ड और रोटरी-विंग (योजना) [५][६]

आईएनएस विशाल (INS Vishal) वर्तमान में अपने डिजाइन चरण से गुजर रहा विमान वाहक है[७]), जो भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा बनाया जाएगा। यह भारत में निर्मित होने वाला पहला सुपर विमान वाहक होने वाला है। विक्रांत श्रेणी के विमान वाहक के दुसरे विमान वाहक अर्थात आईएनएस विशाल का प्रस्तावित डिजाइन बिल्कुल नया डिजाइन होगा।[८]

डिजाइन और विकास

स्टोबार प्रणाली से तेजस उडान भरते समय

अप्रैल 2011 में, एडमिरल निर्मल कुमार वर्मा ने कहा कि दूसरा वाहक का निर्माण कुछ साल दूर है क्योंकि यह नौसेना के लिए उच्चतर खर्चा वाला है।[९] आईएनएस विशाल का डिजाइन चरण 2012 में शुरू हुए, और नौसेना के नौसेना डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा इसका संचालन किया गया। नौसेना ने डिजाइन की अवधारणा और कार्यान्वयन योजनाओं को तैयार करने में बाहरी मदद नहीं लेने का निर्णय लिया लेकिन आईएनएस विशाल में रूसी विमान को एकीकृत करने के लिए बाद में रूसी डिजाइन ब्यूरो से मदद ली जा सकती है। आईएनएस विशाल का 65,000 टन के विस्थापन के साथ एक फ्लैट टॉप कैरियर होने का प्रस्ताव है और आईएनएस विक्रांत पर स्टोबार प्रणाली के विपरीत आईएनएस विशाल पर कैटोबार प्रणाली हो सकती है।[३][१०][११][१२] 13 मई 2015 को रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने आईएनएस विशाल की प्रारंभिक निर्माण योजना प्रक्रिया के लिए 30 करोड़ रुपये आवंटित किए।[१३][१४]

भारतीय नौसेना के चेयरमैन एडमिरल धवन ने कहा: "दूसरे स्वदेशी विमानवाहक विमान के लिए सभी विकल्प खुले हैं। किसी भी चीज को खारिज नही किया गया है यह परमाणु संचलित भी हो सकता है।"[८] भारत सरकार ने सहयोग के क्षेत्रों को बड़ा करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक कैरियर कार्य समूह बनाने को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और कैरियर कार्य समूह पहली बार अगस्त 2015 में मिले।[१५]

आईएनएस विशाल के डिजाइन के सुझाव के लिए भारतीय नौसेना ने चार अंतरराष्ट्रीय रक्षा कंपनियों से बात तक की थी।[१६] अनुरोध पत्र (Letters of request) ब्रिटिश कंपनी बीएई सिस्टम्स, फ्रेंच कंपनी डीसीएनएस, अमेरिकी कंपनी लॉकहेड मार्टिन और रूसी कंपनी रोजोबोरोनएक्सपोर्ट को 15 जुलाई, 2015 को भेजे गए थे। पत्र में आईएनएस विशाल कार्यक्रम के लिए कंपनियों से "तकनीकी और लागत प्रस्ताव प्रदान" करने के लिए कहा गया था।[१६]

कैरियर कार्य समूह

वाहक वायु-लड़ाई समूह के बारे में फैसला अभी भी अस्पष्ट है क्योकि इस विषय के बारे में आधिकारिक टिप्पणी की कमी है। लेकिन अधिकांश विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसमें नौसैनिक संस्करण तेजस और भविष्य के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट विमानों जैसे एचएएल उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान और स्वायत्त मानव रहित विमान अनुसंधान जैसे ड्रोन को चुना जा सकता हैं। भारतीय नौसेना ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (एएमएएलएस) का मूल्यांकन किया है, जिसका उपयोग अमेरिकी नौसेना ने अपने नवीनतम जेराल्ड आर फोर्ड क्लास विमान वाहक में किया है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम के विकासकर्ता जनरल एटॉमिक्स को भारतीय नौसेना के अधिकारियों को तकनीकी प्रदर्शन दिखाने के लिए अमेरिकी सरकार ने मंजूरी दे दी थी। भारतीय नौसेना के अधिकारी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम की नई क्षमताओं से प्रभावित हुए थे। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम ने मानव रहित युद्ध वायु वाहनों (यूसीएवी) सहित विभिन्न विमानों को लॉन्च करने में सक्षम बनाया है। 1 अगस्त 2013 को वाइस एडमिरल रॉबिन के धवन ने आईएनएस विशाल परियोजना के विस्तृत अध्ययन के बारे में बात करते हुए कहा कि इसमे परमाणु प्रणोदन का उपयोग भी हो सकता है।[१७] जिसे बाद में अंतिम रूप दे दिया गया है।[१८] शुरू में वाहक को 2020 के दशक तक सेना में शामिल करने की उम्मीद थी लेकिन नवीनतम रिपोर्ट (नवम्बर 2016 तक) ने सुझाव दिया है कि इस भारतीय वाहक में पहली बार कई उन्नत तकनीकों को इकट्ठा करने और एकीकृत करने में शामिल तकनीकी चुनौतियों के कारण इसे केवल 2030 तक ही सेवा में शामिल किया जा सकेगा।[७][१९][२०][२१] भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच डीटीटीआई के नवीकरण के बाद, संभव है कि जनरल एटॉमिक्स से सहायता के साथ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम को भारत में तैयार किए जा सकेंगा।[२२] मई 2017 तक, भारतीय नौसेना पेंटागन (अमेरिकी रक्षा मन्त्रालय) से स्वीकृति पत्र का इंतजार कर रही थी, जो नौसेना ने फरवरी में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम के आयात के लिए आवेदन किया था।[२३]

दिसंबर 2016 में, नौसेना ने घोषणा की कि एचएएल तेजस वाहक संचालन के लिए अधिक वजन वाला लड़ाकू विमान है वाहक पर इसे बदलने के सभी विकल्पो पर विचार किया जा रहा है।[२४][२५] जनवरी 2017 में, एक नए विमान वाहक विमान में रुचि के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव बनाया गया था।

नौसेना योजनाकारों का मानना है कि आईएनएस विशाल का 2030 के दशक में सेवा में शामिल होने की संभावना है। उन्हे उस वाहक से ड्रोन संचालन के साथ-साथ मध्यम और हल्के लड़ाकू विमान पर भी योजना बनानी चाहिए। नौसैनिक योजनाकार के अनुसार, यह ड्रोन के साथ हमारे मिशन का विस्तार कर सकता है बिना पायलट वाले विमान का उपयोग उच्च जोखिम वाली जासुसी और सीड (दुश्मन हवा की सुरक्षा का दमन) में किया जा सकता है। [७]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite news
  3. साँचा:cite news
  4. साँचा:cite news
  5. साँचा:cite news
  6. साँचा:cite web
  7. साँचा:cite news
  8. साँचा:cite news
  9. साँचा:cite news
  10. साँचा:cite news
  11. साँचा:cite news
  12. साँचा:cite web
  13. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  14. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  15. साँचा:cite news
  16. साँचा:cite news
  17. साँचा:cite news
  18. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  19. साँचा:cite news
  20. साँचा:cite web
  21. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  22. साँचा:cite news
  23. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  24. साँचा:cite web
  25. साँचा:cite web