रोबिन बनर्जी
रोबिन बनर्जी (१२ अगस्त,१९०८-६ अगस्त,२००३) असम के गोलघाट के एक प्रसिद्ध वन्यजीव विशेषज्ञ, पर्यावरणविद्, चित्रकार, फोटोग्राफर और दस्तावेजी फिल्म निर्माता थे।
जीवनी
रोबिन बनर्जी का जन्म १२ अगस्त, १९०८ में पश्चिम बंगाल के बहरामपुर में हुआ और अपनी प्राथमिक शिक्षा शांतिनेकतन से प्राप्त की। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में और बाद में लिवरपूल (१९३४) से और १९३६ में एडिनबर्ग से चिकित्सा की शिक्षा ली। १९३७ में बनर्जी ने लिवरपूल में रॉयल नेवी में शामिल होकर विश्वयुद्ध में कार्यवाही की। युद्ध के बाद बनर्जी ने भारत वापस आने का निश्चय किया। १९५२ में चबुआ टिया एस्टेट, असम में बतौर मुख्य मेडिकल अधिकारी शामिल हुए, और उसके बाद वह धनसिरी मेडिकल एसोसिएशन, बोकाखाट को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में स्थानांतरित हो गए। काजीरंगा पार्क में अपनी एक यात्रा के दौरान उन्होंने फैसला लिया की वह वहीं काजीरंगा के पास गोलाघाट में रहेंगे। बॅनर्जी एक स्नातक बने रहे, और फिल्म निर्माण कार्य के अलावा वह एक पर्यावरणविद् के रूप में सक्रिय रूप से कार्य करते रहे। स्थानीय समुदाय के लोगों के बीच में "चाचा रोबिन" नाम से मशहूर बनर्जी ने स्थानीय स्कूल व स्वास्थ्य शिविर की स्थापना के लिए भूमि-दान के कार्य भी किये। वह विशेष रूप से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के विषय में सक्रिय थे और वह गैर सरकारी संगठन काजीरंगा वन्यजीव सोसायटी के संस्थापक थे, जो सक्रिय रूप से पार्क के हितों की सुरक्षा करता है।
मान्यता और स्मरण
१९९७ में उन्हें "पदमश्री" से, १९९१ में असम कृषि विश्वविद्यालय से एक मानद डॉक्ट्रेट ऑफ़ साइंस, और डिब्रुगढ विश्वविद्यालय से एक मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। उनके जीवन और अनुभवों के आधार पर एक किताब "जुजिया जोपुनर मानुह" असमिया में लिखी गयी हैं।
अंकल रोबिन का म्यूजियम
गोलाघाट में मिशन रोड स्तिथ बनर्जी का घर वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक पर्यटन स्थल है[१][२] और २००९ में उसे एक प्राक्रतिक इतिहास संग्रहालय बना दिया गया जिसमें बडी संख्या में तस्वीरें और चित्र थे।
फिल्मोग्राफी
रोबिन बनर्जी ने ३२ वृत्तचित्र बनाई, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
- काजीरंगा (५० मिनट)
- वाइल्ड लाइफ ऑफ़ इंडिया (३५ मिनट)
- मानसून (२० मिनट)
पुरस्कार
- पदमश्री (१९७१)
- मानद डॉक्ट्रेट उपाधि (असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहट)
- मानद डॉक्टरेट उपाधि (दिब्रुगढ विश्वविद्यालय)
- प्रकृति कोंवर (प्रकृति-एनजीओ, असम)