नंदवंशी

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बाल-कृष्ण को झूला झुलाते नन्द व यशोदा

नंदवंशी शब्द नन्द या नंदगोप नामक प्रसिद्ध पौराणिक चरित्र के वंशजों का परिचायक है। हरिवन्शपुराणो के अनुसार "पावन गोप (आभीर/अहीर) ग्वाल" के रूप मे विख्यात यादव गोपालक गोपों और ब्रज के पावन ग्वालों गोप[१][२] के मुखिया थे। वह एक राजा और क्षत्रिय थे।[३] वह भगवान कृष्ण के पालक पिता थे।[४]

नन्द प्राचीन यादव साम्राज्य के शक्तिशाली मंडलों में से एक, गोकुल मण्डल के मंडलाधीश या प्रमुख थे।[५] रिश्ते में नन्द, वसुदेव के चचेरे भाई थे।[५][६] वसुदेव ने अपने नवजात शिशु कृष्ण को लालन पालन हेतु नन्द को सौंप दिया था। नन्द व उनकी पत्नी यशोदा ने कृष्ण व बलराम दोनों को पाला पोसा। नन्द का पुत्र होने के नाते कृष्ण का एक नाम "नंदनंदन" भी है।[७][८]

नंदवंशी अहीर

नंदवंशी अहीर स्वयं को नन्द का वंशज मानते हैं। नंदवंशी अहीर राजस्थान में जयपुर में पाये जाते हैं।.[९] वे मध्य प्रदेश के खांडवा व भोपाल, विदिशा, रायसेन, पिपरिया, होशंगाबाद, हरदा हरसूद, झांसी, इंदौर में बहुतायत में व महाराष्ट्र के औरंगाबाद, अकोला, अमरावती, चंद्रपुर, जालना, पुणे, नागपुर, नांदेड़, ठाणे व वर्धा इलाकों व आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में भी पाये जाते हैं।[१०]

मांडला के कौणरा (कौंरा) व जबलपुर के कमरिया अहीर भी स्वयं को नंदवंशी समूह का मानते हैं। शोध अध्ययन के अनुसार नन्दवंशी व यदुवंशी उपाधियाँ परस्पर समानार्थी हैं,[११] क्योंकि उपलब्ध स्रोतों में यदु नरेश वासुदेव व राजा नन्द रिश्ते में चचेरे भाई थे अर्थात एक ही वंश के थे। नन्द की कृष्ण के अलावा अपनी कोई संतान नहीं थी अतः नन्द के वंश का उत्तराधिकार भी स्वतः ही यदु राजकुमार श्रीक़ृष्ण को उनका दत्तक पुत्र होने के नाते प्राप्त हुआ।[६][५]

नंदवंशी, यदुवंशी, ग्वालवंशी (गोपाल)[१२], गवली, घोषी-ठाकुर वंश के अनुसार विभक्त हुए हैं ये यदुवंशी अहीर हैं तथा इनका उपनाम यादव हैं। परंतु कुछ अन्य जातियां जैसे जादौन (राजपूत) जो पहले जदुबंशी लिखते थे, बाद में अपने आप को यदुवंशी बताने और यदुवंशी उपनाम लिखने लगे, अब यादव उपनाम बताने लगे हैं, परंतु वे यदुवंशी अहीर जाति के अंतर्गत में नहीं आते। ब्रिटिश काल में नंदवंशी अहीर योद्धा जातियों का हिस्सा रही थी व सामाजिक, धार्मिक व भौगोलिक दृष्टि से उन जतियों के निकट थी जो ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती होते थे। [१३]

नंदवंशी

के.एम. मुंशी सहित इतिहासविदों के एक समूह का जाति प्राचीन जाति अहीर अथवा यादव की वंशधर है।[१४][१५] [१६]

संदर्भ सूत्र

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  4. साँचा:cite book
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  7. साँचा:cite book
  8. साँचा:cite book
  9. साँचा:cite book
  10. साँचा:cite book
  11. Michelutti, Lucia (2008). "The vernacularisation of democracy: Politics, caste, and religion in India": 114, 115. ISBN 9780415467322. Archived from the original on 13 अप्रैल 2017. Retrieved 29 जून 2017. {{cite journal}}: Cite journal requires |journal= (help); Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
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  13. साँचा:cite book
  14. साँचा:cite book
  15. साँचा:cite book
  16. साँचा:cite book