गीर गाय

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भारतीय गिर गाय
गीर बैल
ब्राजील में गिर गोवंश

गीर, भारतीय मूल की गाय है। यह दक्षिण काठियावाड़ में पायी जाती है। ये गायें 12-15 साल जीवित रहतीं हैं और अपने पूरे जीवनकाल में 6-12 बछड़े उत्पन्न कर सकतीं हैं।

विशेषताएं

गिर भारत के एक प्रसिद्ध दुग्ध पशु नस्ल है। यह गुजरात राज्य के गिर वन क्षेत्र और महाराष्ट्र तथा राजस्थान के आसपास के जिलों में पायी जाती है। यह गाय अच्छी दुग्ध उत्पादताकता के लिए जानी जाती है।इस गाय के दूध में सोने के तत्व पाए जातें हैं जिससे रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।

इस गाय के शरीर का रंग सफेद, गहरे लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे के साथ या कभी कभी चमकदार लाल रंग में पाया जाता है। कान लम्बे होते हैं और लटकते रहते हैं। इसकी सबसे अनूठी विशेषता उनकी उत्तल माथे हैं जो इसको तेज धूप से बचाते हैं। यह मध्यम से लेकर बड़े आकार में पायी जाती है। मादा गिर का औसत वजन 385 किलोग्राम तथा ऊंचाई 130 सेंटीमीटर होती है जबकि नर गिर का औसतन वजन 545 किलोग्राम तथा ऊंचाई 135 सेंटीमीटर होती है। इनके शरीर की त्वचा बहुत ही ढीली और लचीली होती है। सींग पीछे की ओर मुड़े रहते हैं।

यह गाय अपनी अच्छी रोग प्रतिरोध क्षमता के लिए भी जानी जाती है। यह नियमित रूप से बछड़ा देती है। पहली बार 3 साल की उम्र में बछड़ा देती है

गिर गायों में थन अच्छी तरह विकसित होते हैं। यह गाय प्रतिदिन 12 लीटर से अधिक दूध देती है। इसके दूध में 4.5 प्रतिशत वसा होती है। गिर का एक बियान में औसत दुग्ध उत्पादन 1590 किलोग्राम है। ये पशु विभिन्न जलवायु के लिए अनुकूलित होते हैं और गर्म स्थानों पर भी आसानी से रह सकतें हैं।

==बाहरी कड़ियाँ== गिर गए का पहचान क्या है