वीणा टंडन
वीणा टंडन | |
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जन्म |
७ सितम्बर १९४९ (आयु ६७) काशीपुर, उत्तराखण्ड, भारत |
व्यवसाय |
परजीव विज्ञानी शैक्षिक |
प्रसिद्धि कारण | परजीवी विज्ञानं |
जीवनसाथी | प्रमोद टंडन |
बच्चे | एक पुत्र |
वीणा टंडन एक भारतीय परजीव विज्ञानी,शैक्षिक एवं बायोटेक पार्क,लखनऊ में एक नासी वरिष्ठ वैज्ञानिक है।[१] वह नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी में जूलॉजी की भूतपूर्व प्रोफेसर है एवं पूर्व भारत में पेट के परजीवी से जुड़ी जानकारी का डेटाबेस जुटाने में मुख्य रूप से कार्यरत है। [२] उन्हें उनके कीड़ा संक्रमण पर शोध के लिए जाना है जोकि भोजन के लिए मुल्यवान जानवरों को प्रभावित करते हैं। वह दो पुस्तकों की लेखिका हैं और परजीवी विज्ञान पर उनके काफी लेख है।[३] भारत सरकार ने विज्ञान में योगदान के लिए उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री, से २०१६ में सम्मानित किया।[४]
जीवनी
वीणा टंडन का जन्म ७ सितम्बर१९४९ में काशीपुर में भारतीय राज्य उत्तराखंड में हुआ।चंडीगढ़से १९६७ में पंजाब विश्वविद्यालय से प्राणी शास्त्र में स्नातक होने के बाद (बीएससी-ऑनर्स) उन्होंने १९६८ में मास्टर की डिग्री (एमएससी) पूर्ण की और बाद में उसी संस्थान से (पीएचडी) की डिग्री की। उन्होंने अपना पोस्ट डॉक्टरेट अनुसंधान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, इरविन के आणविक जीव विज्ञान और जैव रसायन विभाग से १९७८-७९ के दौरान किया। उनके अनुसंधान का विषय शराब के मस्तिष्क और जिगर के ऊतकों पर होने वाले प्रतिकूल प्रभावों पर था। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत हिमाचल विश्वविद्यालय में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में की, किंतु बाद में वह नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग,के जूलॉजी विभाग में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हुई जहाँ उन्होंने सेवानिवृत्ति तक एक प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।[५] सेवानिवृत्ति के पश्चात, वह बायोटेक पार्क, लखनऊ में अपने शोध कार्य को जारी रखने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत की प्लैटिनम जयंती फैलोशिप के तहत चली गयी और वहां संस्था की नासी वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं।
पुरस्कार और सम्मान
राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत ने टंडन को एक साथी के रूप में १९९८ में निर्वाचित किया। [६] वह २००५ में भारतीय समाज के लिए परजीवी विज्ञान की निर्वाचित साथी बनी। [७] वह जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया और हेलमिन्थोलोजिकल समाज भारत की भी साथी हैं। उन्होंने वर्गीकरण- पशु विज्ञान के मंत्रालय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम की २००३-०६ के दौरान अध्यक्षता की। उन्होंने कई विज्ञान सम्मेलनों में मुख्य स्वर संबोधन दिए और पुरस्कार व्याख्यान जैसे प्रो. आर. पी.चौधुरी अक्षय निधि व्याख्यान गुवाहाटी विश्वविद्यालय में, प्रो. एम. एम. चक्रवर्ती स्मरणोत्सव भाषण जूलॉजिकल सोसायटी, कोलकाता और प्रोफेसर अर्चना शर्मा स्मारक व्याख्यान राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत के लिए दिए। वह पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के पशु वर्गीकरण में इ. के. जानकी अम्मल पुरस्कार की प्राप्तकर्ता हैं एवं उन्हें भारतीय समाज के लिए परजीवी विज्ञान ने २०११ में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाज़ा। भारत सरकार ने २०१६ में उन्हें सम्मानित नागरिक के सम्मान पद्म श्री से पुरस्कृत किया। [८]
इन्हें भी देखें
- प्रमोद टंडन
सन्दर्भ
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- ↑ साँचा:cite web