वज्रमुष्टि

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वज्रमुष्टि एक शस्त्र भी है और कुश्ती का एक प्रकार भी जिसमें इस हथियार का उपयोग किया जाता है। इस शस्त्र को इन्द्रमुष्टि भी कहते हैं। यह शस्त्र हाथी-दाँत का या भैंसे के सींग का बना होता है।

बज्रमुष्टि का प्रथम उल्लेख चालुक्य राजा सोमेश्वर तृतीय (1124–1138) द्वारा रचित मानसोल्लास में मिलता है। किन्तु ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि यह शस्त्र मौर्यकाल से ही अस्तित्व में है। ज्येष्ठिमल्ल नामक कृष्णपूजक जाति वज्रमुष्टि तथा मल्लयुद्ध की कला का अभ्यास करने वाली प्रसिद्ध जाति थी। मल्लपुराण इसी जाति से सम्बन्धित है जिसकी रचना अनुमानतः १३वीं शताब्दी में हुई थी।

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