राजेंद्र नाथ रहबर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित १२:४०, १६ सितंबर २०२० का अवतरण (Rescuing 1 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.7)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
राजेंद्र नाथ रहबर
व्यवसाय शायर
राष्ट्रीयता भारतीय
शैली गज़ल, नज़्म
उल्लेखनीय कार्य तेरे खुशबू में बसे ख़त के लेखक
उल्लेखनीय सम्मान शिरोमणि साहित्यकार अवार्ड
जीवनसाथी कैलाश शर्मा
संतान दर्पण पठानकोटी


राजेंद्र नाथ रहबर उर्दू के प्रमुख उस्ताद शायरों में से एक हैं उनका जन्म 05 नवम्बर 1931 को पंजाब के शकरगढ़ में हुआ, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान को मिल गया। तथा रहबर साहिब का परिवार पठानकोट आकर बस गया। [१]

रहबर साहिब ने हिन्दू कॉलेज अमृतसर से बी॰ए॰, खालसा कॉलेज पंजाब से एम॰ए॰(अर्थशास्त्र) और पंजाब यूनिवर्सिटी से एल॰एल॰बी॰ की। बचपन में शायरी का शौक़ पल गया, बड़े भाई ईश्वरदत्त अंजुम भी शायर थे। रहबर साहिब ने शायरी का फन रतन पंडोरवी से सीखा।

रहबर साहिब की नज़्म तेरे खुशबू में बसे ख़त को विश्वव्यापी शोहरत मिली। इस नज़्म को जगजीत सिंह ने लगभग 30 सालों तक अपनी मखमली आवाज़ में गाया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा रहबर साहिब को लिखे ख़त के लिए भी वो चर्चा में रहे।

मशहूर फ़िल्म निर्माता महेश भट्ट ने रहबर साहिब मशहूर नज़्म को अपनी फ़िल्म 'अर्थ' में फिल्माया है। रहबर साहिब अपने जीवन के तकरीब 70 साल उर्दू साहित्य की सेवा में समर्पित किये हैं और अब भी निरंतर साहित्य सेवा में लगे हैं।

पुस्तकें

  • कलश (1962)
  • मल्हार (1975)
  • और शाम ढल गई (1978)
  • जेबे-सुख़न (1997)
  • तेरे खुशबू में बसे ख़त (2003)
  • याद आऊंगा (2006)
  • उर्दू नज़्म में पंजाब का हिस्सा (2017)
  • तेरे खुशबू में बसे ख़त (2017) (द्वितीय संस्करण)

पुरस्कार

रहबर साहिब को देश विदेश की सैंकड़ों संस्थानों द्वारा विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2010 में पंजाब सरकार द्वारा रहबर साहिब को पंजाब का सर्वोच्च सम्मान शिरोमणि साहित्यकार सम्मान से नवाज़ा गया।


सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।