स्थानेश्वर महादेव मन्दिर
स्थानेश्वर महादेव मन्दिर | |
---|---|
लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found। | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | साँचा:br separated entries |
देवता | भगवान शिव |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | साँचा:if empty |
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 422 पर: No value was provided for longitude। | |
वास्तु विवरण | |
शैली | हिन्दू मन्दिर स्थापत्यकला |
निर्माता | साँचा:if empty |
ध्वंस | साँचा:ifempty |
साँचा:designation/divbox | |
साँचा:designation/divbox |
साँचा:template otherस्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main other
स्थानेश्वर महादेव मन्दिर हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर शहर में स्थित एक प्राचीन हिन्दू मन्दिर है। यह मंदिर भगवान शिव का समर्पित है और कुरुक्षेत्र के प्राचीन मंदिरों मे से एक है। मंदिर के सामने एक छोटा कुण्ड स्थित है जिसके बारे में पौराणिक सन्दर्भ अनुसार यह माना जाता है कि इसकी कुछ बूँदों से राजा बान का कुष्ठ रोग ठीक हो गया था। कहते हैं कि भगवान शिव की शिवलिंग के रुप में पहली बार पूजा इसी स्थान पर हुई थी। इसलिए कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र की तीर्थ यात्रा इस मंदिर की यात्रा के बिना पूरी नही मानी जाती हैै।[१] स्थाणु शब्द का अर्थ होता है शिव का निवास। इसी शहर को सम्राट हर्षवर्धन के राज्य काल में राजधानी का गौरव मिला[२], जिसके साथ साथ इसका नाम बिगड़कर अपभ्रंश रूप में थानेसर हो गया।
स्थापत्य
मंदिर की छत गुंबद के आकर की है एवं छत के सामने की तरफ का भाग एक लंबा अमला के आकर का है। मंदिर के अन्दर छत पर आज भी प्राचीन कलाकृतियाँ विद्यमान हैं। इस मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग अति प्राचीन शिव लिंग है। यह मंदिर दो भागों में विभाजित है। बाईं ओर भगवान श्री लक्ष्मी नारायण जी का मन्दिर है और दाईं ओर भगवान शिव का मन्दिर है। इस मंदिर में भगवान भैरव,हनुमान और राम परिवार और माता दुर्गा जी की मूर्ति स्थापित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत युद्ध आरम्भ होने से पूर्व पांडवों और भगवान श्रीकृष्ण ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की तथा महाभारत का युद्ध विजय का आर्शीवाद प्राप्त किया था।[२]
पर्व एवं उत्सव
वैसे तो स्थानेश्वर मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते हैं किन्तु विशेषकर महाशिवरात्रि के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन मंदिर को फूलों एवं दीपमालिकाओं से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है। यह मन्दिर थानेसर से तीन किलोमीटर दूर झांसा मार्ग पर स्थित है। इतिहास के अनुसार यहां सिखों के नौवें गुरु तेगबहुदुर जी भी आए थे। इस मंदिर के समीप उनकी याद में गुरुद्वारा नवीं पातशाही भी बना हुआ है।[३][१]