दश्त-ए-तन्हाई

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित ००:३९, १५ जून २०२० का अवतरण (Rescuing 2 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
"दश्त-ए-तन्हाई"
इकबाल बानो द्वारा एकल संगीत
प्रकार नज़म
गीत लेखक फैज़ अहमद फैज़

दश्त-ए-तन्हाई एक लोकप्रिय उर्दू नज़्म जिसका शीर्षक "याद" है।[१] यह फैज अहमद फैज द्वारा लिखी गई थी।[१] यह इकबाल बानो द्वारा और बाद टीना शनि और मीशा शफी ( कोक स्टूडियो) के द्वारा अपने गायन के लिए जानी जाती है।[२]

बोल

उर्दू लिपि में बोल:

دشت تنہائی میں اے جان جہاں لرزاں ہیں
تیری آواز کے سائے، تیرے ہونٹوں کے سراب
دشت تنہائی میں دوری کے خس و خاک تلے
کھل رہے ہیں تیرے پہلو کے سمن اور گلاب
اٹھ رہی ہے کہیں قربت سے تیری سانس کی آنچ
اپنی خوشبو میں سلگتی ہوئی
مدھم مدھم
دور افق پار چمکتی ہوئی
قطرہ قطرہ
گر رہی رہے تیری دلدار نظر کی شبنم
اس قدر پیار سے اے جان جہاں رکھا ہے
دل کے رخسار پے اس وقت تیری یاد نے ہاتھ
یوں گماں ہوتا ہے گرچہ ہے ابھی صبح فراق
ڈھل گیا ہجر کا دن آ بھی گئی وصل کی رات
دشت تنہائی میں اے جان جہاں لرزاں ہیں
تیری آواز کے سائے، تیرے ہونٹوں کے سراب


देवनागरी लिपि में बोल:

दश्त-ए-तन्हाई मे, ऐ जान-ए-जहां, लरज़ाँ हैं
तेरी आवाज़ के साये,
तेरे होंठों के सराब,
दश्त-ऐ-तन्हाई में,
दूरी के ख़स-ओ-ख़ाक़ तले
खिल रहे हैं तेरे पहलू के समन और गुलाब
उठ रही कहीं हैं क़ुर्बत से
तेरी सांस की आंच
अपनी ख़ुश्बू मे सुलगती हुई
मद्धम मद्धम
दूर उफ़क़ पर चमकती हुई
क़तरा क़तरा
गिर रही है तेरी दिलदार नज़र की शबनम
इस क़दर प्यार से ऐ जान-ए-जहां रक्खा है
दिल के रुख़सार पे
इस वक़्त तेरी याद ने हाथ
यूँ गुमान होता है
गरचे है अभी सुबह-ए-फ़िराक
ढल गया हिज्र का दिन
आ भी गयी वस्ल कि रात


सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।