गोपाल चतुर्वेदी
गोपाल चतुर्वेदी (१५ अगस्त १९४२) हिंदी के एक लेखक और व्यंग्यकार हैं। वे भारतीय रेल सेवा के अधिकारी भी रह चुके हैं और वर्तमान में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।[१] चतुर्वेदी की रचनायें प्रतिष्ठित प्रकाशनों द्वारा छापी गयी हैं और उनके लेख, व्यंग्य और अन्य रचनायें कई पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही हैं। चतुर्वेदी को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "यश भारती" और केन्द्रीय हिंदी संस्थान द्वारा "सुब्रमण्यम भारती पुरस्कार" से सम्मानित किया जा चुका है।
जीवन
गोपाल चतुर्वेदी का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में १५ अगस्त १९४२ को हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा सिंधिया स्कूल, ग्वालियर में हुयी। चतुर्वेदी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की[२] और तत्पश्चात उनका चयन प्रतिष्ठित "भारतीय रेल सेवा" के अधिकारी के रूप में हो गया। वर्ष १९६५ से १९९३ तक रेल व भारत सरकार के कई मंत्रालयों में उच्च पदों पर इन्होने काम किया।
लेखन
चतुर्वेदी गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं में रचनायें करते हैं। विद्यार्थी जीवन में ही इन्होने लेखन की शुरूआत की थी।[१] आज इन्हें हिंदी के एक प्रमुख व्यंग्यकार के रूप में पहचाना जाता है। एक ज़माने में हिंदी भाषा की सुप्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका "सारिका" में इनके व्यंग्य लेख कॉलम प्रकाशित होते थे। बाद में इंडिया टुडे में कॉलम लिखते रहे हैं और पत्रिका साहित्य अमृत के प्रकाशन के पहले अंक से ही इनका कॉलम इसमें प्रकाशित हो रहा है।[३][१]
रचनायें
गोपाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनायें[३] निम्नवत हैं:
- कविता-संग्रह
- कुछ तो हो
- धूप की तलाश
- व्यंग्य-संग्रह
- धाँधलेश्वर[२]
- अफ़सर की मौत
- दुम की वापसी
- राम झरोखे बैठ के
- फ़ाइल पढ़ी
- आदमी और गिद्ध
- कुरसीपुर का कबीर
- फार्म हाउस के लोग
- सत्तापुर के नकटे
इनके अतिरिक्त लगभग दो दशकों से अधिक की कालावधि में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कॉलम और लेख छपते रहे हैं।
पुरस्कार एवं सम्मान
चतुर्वेदी को निम्निखित सम्मानों एवं पुरस्कारों से नवाज़ा गया है:
- व्यंग्य श्री सम्मान - हिंदी भवन, नई दिल्ली द्वारा, वर्ष २००१ में।[४]
- यश भारती सम्मान - उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा, वर्ष २०१५-१६ में।[५][६]
- सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार - केन्द्रीय हिंदी संस्थान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा।