आज भी खरे हैं तालाब

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आज भी खरे हैं तालाब, प्रसिद्ध पर्यावरणविद अनुपम मिश्र द्वारा लिखित हिन्दी पुस्तक है। यह १९९३ में प्रकाशित हुई थी। यह पुस्तक परम्परागत तालाबों एवं जल-प्रबन्धन से सम्बन्धित है तथा आठ वर्ष के गहन क्षेत्र-अनुसंधान के पश्चात लिखी गयी थी। भारत में बेजोड़ सुंदर तालाबों की कैसी भव्य परंपरा थी, पुस्तक उसका पूरा दर्शन कराती है। तालाब बनाने की विधियों के साथ-साथ अनुपम जी की लेखनी उन गुमनाम नायकों को भी अंधेरे कोनों से ढूँढ़ लाती है, जो विकास के नए पैमानों के कारण बिसरा दिए गए हैं।

अनुपम जी ने अपनी पुस्तकों को कॉपीराइट-मुक्त रखा है। इसी कारण “आज भी खरे हैं तालाब” पुस्तक का अब तक ब्रेल लिपि सहित 19 भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। सामाजिक पुस्तकों में महात्मा गाँधी की पुस्तक “माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ” के बाद केवल यही एक पुस्तक ब्रेल लिपि में उपलब्ध है।

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