लिपिड द्विपरत

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फ़ॉस्फ़ोलिपिड द्विपरत के तीन भाग होते हैं - जलस्नेही सिरों के आसपास जल होता है, जलविरोधी दुमों के आसपास का क्षेत्र शुष्क होता है और इन दोनों के बीच का क्षेत्र अर्ध-नम होता है

लिपिड द्विपरत (lipid bilayer) या फ़ॉस्फ़ोलिपिड द्विपरत (phospholipid bilayer) लिपिड अणुओं की दो परतों की बनी एक झिल्ली होती है। यह लगभग सभी जीवों की कोशिकाओं को चादर की तरह लपेटे रहती है। इसका काम हानिकारक रासायनों को बाहर रखना और लाभदायक रासायनों को भीतर लाना होता है। इस द्वीपरत के छिद्र केवल कुछ नैनोमीटर चौड़े ही होते हैं। यह ध्रुवीय होती है यानि [आयनों]] को बाहर रखने और कणों को उनके विद्युतीय लक्षणों के आधार पर अंदर-बाहर जाने की अनुमति देती है। कोशिका के अलावा कोशिका के अन्दर के कई अंशों को भी उनकी अपनी लिपिड द्विपरत ने ढका हुआ होता है।[१][२]

लिपिड यौगिक अक्सर उभयसंवेदी (amphiphilic) होते हैं, यानि उनका एक भाग जलस्नेही और एक भाग जलविरोधी होता है। जब उन्हें किसी जलीय वातावरण में डाला जाए तो वह दो परत की चादरों में व्यवस्थित हो जाते हैं, जिसमें। जलस्नेही सिर बाहर की तरफ़ और जलविरोधी दुमें अन्दर की ओर होती हैं। यह द्वीपरत शरीर में कई स्थानों पर प्रयोग होती है, मसलन कोशिकाओं का बाहरी खोल इसी से बनी झिल्ली का निर्मित होता है।[३]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Forrest, Lucy R. (2015-01-01). "Structural Symmetry in Membrane Proteins". Annual Review of Biophysics. 44 (1): 311–337. doi:10.1146/annurev-biophys-051013-023008. PMID 26098517.
  2. Voet, Donald (2012). Fundamentals of Biochemistry: Life at the Molecular Level (4 ed.). Wiley. ISBN 978-1118129180.
  3. साँचा:cite journal