परख

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>EatchaBot द्वारा परिवर्तित २१:३६, ३ मार्च २०२० का अवतरण (बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
परख  
चित्र:Parakh.jpg
परख का मुखपृष्ठ
लेखक जैनेंद्र कुमार
देश भारत
भाषा हिंदी
विषय विधवा विवाह
प्रकाशक चंद्रकला प्रकाशन, पुणे
प्रकाशन तिथि 1929

साँचा:italic titleसाँचा:main other

जैनेंद्र कुमार की सर्वप्रथम औपन्यासिक कृति 'परख' का प्रकाशन सन 1929 में हुआ। सत्यधन, कट्टो, बिहारी और गरिमा नामक पात्र-पात्रियों के चरित्र पर आधारित यह मनोवैज्ञानिक कथा अप्रत्यक्ष रूप से विधवा विवाह की समस्या से संबंध रखती है, जो भारतेंदुयुगीन औपन्यासिक प्रवृत्ति है। जैनेंद्र के आगामी उपन्यासों की अपेक्षा 'परख' में चरित्र-चित्रण अशक्त प्रतीत होता है। मुख्यतः इसी कारण से 'परख' को वह महत्व नहीं प्राप्त हो सका, जो जैनेंद्र के अन्य उपन्यासों विशेष रूप से 'सुनीता'(1935) तथा 'त्यागपत्र' (1937) के प्राप्त हुआ। इसका एक कारण इस उपन्यास की अविश्वसनीय कथा भी है। इसके प्रधान पात्र-पात्रियाँ अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व रखते हुए भी अधिकांशतः नाटकीय व्यवहार करते हैं। आदर्शवादी कथा-तत्व यत्र-तत्र उभरे हुए हैं, जिनमें आत्मबलिदान की भावना को प्रमुखता मिली है।