नागार्जुन सागर परियोजना
नागार्जुन सागर बांध | |
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स्थान | Guntur district, Andhra Pradesh and Nalgonda district, तेलंगाना |
निर्देशांक | साँचा:coord |
उद्देश्य | Hydroelectric & Irrigation |
निर्माण आरम्भ | साँचा:start date |
आरम्भ तिथि | 1967 |
निर्माण लागत | 132.32 crore rupees |
बाँध एवं उत्प्लव मार्ग | |
घेराव | कृष्णा नदी |
~ऊँचाई | साँचा:convert from river level |
लम्बाई | साँचा:convert |
जलाशय | |
बनाता है | Nagarjuna Sagar Reservoir |
कुल क्षमता | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। (405 Tmcft) |
सक्रिय क्षमता | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।[१] |
जलग्रह क्षेत्र | साँचा:convert |
सतह क्षेत्रफ़ल | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
पावर स्टेशन | |
संचालक | Andhra Pradesh Power Generation Corporationसाँचा:brTelangana State Power Generation Corporation Limited |
प्रचालन तिथि | 1978–1985 |
टर्बाइन्स | 1 x 110 MW Francis turbine, 7 x 100.8 MW reversible Francis turbines |
स्थापित क्षमता | साँचा:convert |
नागार्जुन सागर बाँध परियोजना भारत के तेलंगाना राज्य में स्थित एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना हैं।इसका नामकरण बौद्ध विद्वान नागार्जुन जी के नाम पर की गई है। इस बाँध को बनाने की परिकल्पना १९०३ में ब्रिटिश राज के समय की गयी थी। १० दिसम्बर १९५५ में इस बाँध की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी।
उन्होने उस समय यह कहा था।
"When I lay the foundation stone here of this Nagarjunasagar, to me it is a sacred ceremony". This is the foundation of the temple of humanity of India, i.e. symbol of the new temples that we are building all over India".
नागार्जुन बाँध हैदराबाद से 150 किमी दूर, कृष्णा नदी पर स्थित है। इसका निर्माण १९६६ में पूरा हुआ था। ४ अगस्त १९६७ में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा इसकी दोनों नहरों में पहली बार पानी छोड़ा गया था। इस बाँध से निर्मित नागार्जुन सागर झील दुनिया की तीसरी सब से बड़ी मानव निर्मित झील है। विश्व की सबसे बड़ी कृत्रिम झील गोविन्द वल्लभ पंत सागर झील है, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमा पर है।
नदी
कृष्णा नदी पर स्थित है।
उद्देश्य
मुख्यत गुंटूर के किसानो को लाभ मिलता है। पहली इकाई १९७८ में और आठवीं इकाई १९८५ में लगाई गयी थी। -नालगोंडा क्षेत्र को पीने का पानी भी इसी बांध से मिलता है। -दाहिनी मुख्य नहर का नाम-- जवाहर नहर है। -बायीं मुख्य नहर का नाम लाल बहादुर नहर है।
नागार्जुन बाँध बनाते समय हुई खुदाई में नागार्जुनकोंडा में तीसरी सदी के बौद्ध धर्म के अवशेष मिले हैं। यहाँ खुदाई के दौरान महाचैत्य स्तूप के भी अवशेष प्राप्त हुए थे। यहाँ कभी विहार, बोद्ध मोनेस्ट्री और एक विश्वविद्यालय हुआ करता था।
बाहरी कड़ियाँ
साँचा:asbox स्त्रोत- भूगोल