इंद्रोत शौनक

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इंद्रोत शौनक महाभारतकाल के शौनक कुलोत्पन्न एक विशिष्ट ऋषि। शतपथ ब्राह्मण (१३.५.३.५) के निर्देशानुसार इनका पूरा नाम 'इंद्रोतदैवाय शौनक' था तथा इन्होने राजा जनमेजय का अश्वमेध यज्ञ कराया था। ऐतरेय ब्राह्मण (८.२१), तुरकावषेय नामक ऋषि को यह गौरव प्रदान करता है। जैमिनीय उपनिषद् ब्राह्मण में इंद्रोत श्रुत के शिष्य बतलाए गए हैं। वंश ब्राह्मण में भी इनका नाम निर्दिष्ट किया गया है। ऋग्वेद में निर्दिष्ट देवापि के साथ इनका कोई संबंध नहीं प्रतीत होता। महाभारत (शांतिपर्व, अ. १५२) इनके विषय में एक नूतन तथ्य का संकेत करता है, वह यह कि जनमेजय नामक एक राजा को ब्रह्महत्या लगी थी जिसके निवारण के लिए उसने अपने पुरोहित से प्रार्थना की। प्रार्थना को पुरोहित ने नहीं माना। तब राजा इस ऋषि की शरण आया। ऋषि ने राजा से अश्वमेध यज्ञ कराया तथा उसकी ब्रह्महत्या का पूर्णतया निवारण कर उसे स्वर्ग भेज दिया।