हरिवंश नारायण सिंह

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>Gopaljirai द्वारा परिवर्तित ११:१७, १२ अक्टूबर २०२१ का अवतरण (→‎सन्दर्भ)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
हरिवंश नारायण सिंह
Harivansh Narayan Singh.jpg

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
9 अगस्त 2018
पूर्वा धिकारी पी जे कुरियन

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
10 अप्रैल 2014
चुनाव-क्षेत्र बिहार

प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के अतिरिक्त मीडिया सलाहकार 1990-1991

जन्म साँचा:br separated entries
राजनीतिक दल जनता दल (यूनाइटेड)
जीवन संगी आशा
साँचा:center

हरिवंश नारायण सिंह (हरिवंश के नाम से चर्चित, जन्म: 30 जून 1956), एक भारतीय पत्रकार और राजनेता हैं. वर्तमान में वह राज्यसभा के उप सभापति हैं.[१] हरिवंश, दूसरी बार इस पद के लिए चुने गए हैं. इस पद पर उन्होंने पी जे कुरियन का स्थान लिया है.[२]

उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया समूह की हिंदी पत्रिका ‘धर्मयुग’ से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर कोलकाता के 'आनंद बाजार पत्रिका' समूह की हिंदी पत्रिका ‘रविवार’ से जुड़े. वह 1989 में रांची से प्रकाशित अखबार ‘प्रभात खबर’ के प्रधान संपादक बने. चार दशकों की सक्रिय पत्रकारिता में उन्होंने कई मीडिया संस्थानों में काम किया है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अतिरिक्त मीडिया सलाहकार के रूप में भी कार्य किया है. वर्ष 2014 में, जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार के रूप में बिहार से हरिवंश, राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए.[३] पहली बार 8 अगस्त, 2018 को, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के उप सभापति के रूप में निर्वाचित हुए.[४] दूसरी बार 14 सितंबर, 2020 को वह पुनः राज्य सभा के उप सभापति निर्वाचित हुए.[५]

जन्म व आरंभिक जीवन

30 जून 1956 को बलिया[६] जिले (उत्तरप्रदेश) के सिताबदियारा[७] (दलजीत टोला) में जन्म. यह गांव जयप्रकाश नारायण[८] का गांव है. 27 टोलों का गांव सिताबदियारा देश के दो राज्यों बिहार और उत्तरप्रदेश तथा तीन जिलों आरा, बलिया और छपरा में आता है. बचपन में ही कुछ लोगों ने हरिवंश को गहरे प्रभावित किया. सबसे ज्यादा असर पिता (बांके बिहारी सिंह) का रहा. उनको देख जीवन में अनुशासन की सीख मिली. बांके बिहारी सिंह गांव के प्रधान भी थे. हरिवंश की मां (देवयानी देवी) धर्मपारायण, आध्यात्मिक व कर्मठ महिला थी. उनकी जीवनचर्या में विनम्रता, अनुशासन सहज-स्वाभाविक रूप से शामिल था. बड़े भाई के अभिभावकत्व ने इस अनुशासन को और बढ़ाया. घर के लोगों ने बचपन से जो मेंटरिंग की वह सहज-स्वाभाविक रूप से हरिवंश के जीवन का हिस्सा बन गया.

शिक्षा-अध्ययन

घर के बाद पढ़ाई की शुरुआत गांव के स्कूल में हुई. जयप्रकाश नारायण के नाम पर बने हाईस्कूल से मैट्रिक किया. इंटर में पढ़ाई के लिए बनारस के उदयप्रताप कॉलेज में दाखिला हुआ. बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय)[९] से स्नातक व अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई. फिर बीएचयू के ही पत्रकारिता विभाग से डिप्लोमा स्तरीय प्रशिक्षण भी प्राप्त किया.

बीएचयू और इमरजेंसी के दिन

बीएचयू के बिड़ला हॉस्टल में रहते हुए, हरिवंश ने महामंत्री का चुनाव लड़ा. कला संकाय से छात्र संघ के लिए वह चुने गए. इमरजेंसी के समय में उन्होंने भूमिगत परचा-पोस्टर चिपकाने, बांटने का काम भी किया. जेपी आंदोलन के दौरान छात्र राजनीति का असर, पढ़ने-लिखने की ऐसी आदत लगी कि उसी से प्रेरित व प्रभावित होकर पत्रकारिता में आना हुआ.

कैरियर

सक्रिय पत्रकारिता

सांस्थानिक रूप में हरिवंश की पत्रकारिता के तीन पड़ाव बने. ‘धर्मयुग’, ‘रविवार’ और ‘प्रभात खबर’. पत्रकारिता के कैरियर में तीनों का अपना खास महत्व रहा. पत्रकारिता के जरिये सामाजिक राजनीतिक बदलाव में सार्थक व सक्रिय हस्तक्षेप के लिए 'इंडिया टुडे', 'तहलका' जैसी पत्रिका ने विशेष स्टोरी की. दिल्ली से प्रकाशित प्रतिष्ठित अंग्रेजी पत्रिका ‘सिविल सोसाइटी’ ने 'प्रभात खबर' को भंवरजाल से निकाल हिंदी पत्रकारिता और क्षेत्रीय पत्रकारिता का एक मानक या मॉडल बनाने के लिए व्यक्तित्व-कृतित्व पर दो बार विशेष कवर स्टोरी की. ऐसे संपादक के रूप में पहचान बनी जो संपादक बनकर भी लिखते रहे.

‘धर्मयुग’

सक्रिय पत्रकारिता की शुरुआत ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ समूह से हुई. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ समूह में ट्रेनी जर्नलिस्ट के रूप में चयन हुआ. फिर उसी समूह की हिंदी पत्रिका ‘धर्मयुग’ में उप-संपादक के रूप में 1977-1981 तक कार्य किया. ‘धर्मयुग’ में धर्मवीर भारती से लेकर गणेश मंत्री जैसे पत्रकार का सान्निध्य और मार्गदर्शन मिला. इसका असर हमेशा रहा. पत्रकारिता की वैचारिकी और सरोकार का पाठ सिखने का अवसर कैरियर के आरंभिक दिनों में ही मिला.

‘रविवार’

आनंद बाजार पत्रिका समूह की हिंदी पत्रिका ‘रविवार’ में सहायक संपादक के तौर पर 1985 -1989 तक कार्यरत रहे. ‘रविवार’ पत्रिका से जुड़ने के बाद बिहार, झारखंड (तब अविभाजित बिहार का ही हिस्सा) समेत देश के कई इलाकों में, ग्रासरूट रिपोर्टिंग का अवसर मिला.

'प्रभात खबर'

हरिवंश की पत्रकारिता के कैरियर में अहम और सबसे लंबा पड़ाव बना प्रभात खबर. यह समाचार पत्र बिहार के चारा घोटाला सहित कई उच्च प्रोफ़ाइल घोटालों की जांच के लिए जाना जाता है.[१०] वह अक्तूबर 1989 में रांची से प्रकाशित अखबार ‘प्रभात खबर’ के प्रधान संपादक बने. अगले ही साल देश के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर बने. उन्होंने पीएमओ से जुड़ने का प्रस्ताव दिया. अतिरिक्त सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) के रूप में पीएमओ से जुड़े. 1990 से जून 1991 तक. चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री के पद छोड़ते ही वहां से इस्तीफा देकर 1991 में पुन: प्रभात खबर में वापसी की. तब से जून 2016 तक अखबार में प्रधान संपादक के रूप में कार्यरत. जब वह ‘प्रभात खबर’ से जुड़े, तब यह बंदप्राय अखबार था. पर, मृतप्राय- बंदप्राय अखबार हिंदी की क्षेत्रीय पत्रकारिता का मॉडल अखबार बना.


भारतीय प्रेस संस्थान की पत्रिका ‘विदुरा’ का संपादन.


अनेक पत्र-पत्रिकाओं में अलग-अलग विषयों पर लेखन

‘धर्मयुग’, ‘रविवार’, ‘प्रभात खबर’ से इतर अनेक पत्र-पत्रिकाओं में अलग-अलग विषयों पर लेखन. इनमें ‘नवभारत टाइम्स’, ‘दैनिक भास्कर’, ‘फस्टपोस्ट’, ‘संडे (अंग्रेजी) जैसे प्रकाशन प्रमुखता से शामिल हैं.

बैंक सेवा

1981 से 1984 तक बैंक आफ इंडिया, हैदराबाद व पटना में अधिकारी के रूप में कार्यरत.

राजनीतिक जीवन

  • अप्रैल 2014 में जनता दल यू की ओर से बिहार से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित.
  • 09 अगस्त 2018 को राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए पहली बार निर्वाचित.
  • 14 सितंबर 2020 को राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए दूसरी  बार निर्वाचित.


संसदीय समितियों से संबद्धता

  • बतौर सांसद और राज्यसभा उपसभापति के रूप में अनेक संसदीय समितियों से संबद्धता रही है.
  1. सितंबर 2014 से जून 2018 तक हाउस कमिटी के सदस्य रहे.
  2. सितंबर 2014 से अगस्त 2018 तक स्टैंडिंग कमिटी आन डिफेंस के मेंबर रहे. कंस्लटैटिव कमिटी फार द मिनिस्ट्री आफ इनफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग के सदस्य रहे.
  3. जुलाई 2016 से अगस्त 2016 तक राज्यसभा के सेलेक्ट कमिटी आन प्रिवेंशन आफ करप्शन (एमेंडमेंट बिल) 2013 के सदस्य रहे.
  4. अगस्त 2016 से सितंबर 2018 तक ज्वाइंट कमिटी आन द बिल टू एमेंड द सिटिजनशिप एक्ट, 1955 के सदस्य रहे.
  5. जून 2017 में नेशनल प्लेटफार्म फार डिजास्टर रिस्क रिडक्शन कमिटी के सदस्य बनाये गये.
  6. अगस्त 2017 से दिसंबर 2017 तक राज्यसभा के मोटर व्हिकल (एमेंडमेंट) बिल—2017 के सेलेक्ट कमिटी के सदस्य बने.
  7. मई 2018 से अगस्त 2018 तक विश्वभारती,शांति निकेतन के सम्सद (कोर्ट) के सदस्य रहे.
  8. अगस्त 2018 से नवंबर 2019 तक राज्यसभा के कमिटी आन प्रोविजन आफ कंप्यूटर टू मेंबर्स आफ राज्यसभा कमिटी के चेयरमैन रहे.
  9. अगस्त 2018 से अप्रैल 2020 तक राज्यसभा के एमपीलैड कमिटी के चेयरमैन रहे. पुन: सितंबर 2020 में इस कमिटी के चेयरमैन बने.
  10. राज्यसभा के कमिटी आन प्रिविलेजेज के चेयरमैन हैं. राज्यसभा के बिजनेस एडवाइजरी कमिटी, कमिटी आन रूल्स के सदस्य हैं.
  11. अक्तूबर 2018 से अप्रैल 2020 तक कमिटी आन मेंटेनेंस आफ हेरिटेज कैरेक्टर एंड डेवलपमेंट आफ पार्लियामेंट हाउस कांप्लेक्स के सदस्य रहे.
  12. पूर्व में अक्तूबर 2018 से अप्रैल 2020 तक और पुन: सितंबर 2020 में राज्यसभा के जनरल परपस कमिटी के सदस्य बनाये गये.
  13. मई 2019 से अप्रैल 2020 तक राज्यसभा टीवी के कंटेंट एडवाइजरी कमिटी के चेयरमैन रहे.
  14. जुलाई 2020 में कमिटी आन एग्रीकल्चर के मेंबर बने, तीन माह के लिए.

लेखन व संपादन

हरिवंश की आखिरी किताब 2019 में आयी है, जो देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की अंग्रेजी में पहली आधिकारिक जीवनी है. 'चंद्रशेखर:द लास्ट आइकॉन आफ आइडियोलाजिकल पोलिटिक्स' नाम से प्रकाशित इस किताब का लोकार्पण देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में किया.[११] इसके पूर्व भी चंद्रशेखर से संबंधित कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का संपादन. इन पुस्तकों में चंद्रशेखर के विचार (2002), चंद्रशेखर संवाद एक- उथल-पुथल और ध्रुवीकरण (2002). चंद्रशेखर संवाद दो- रचनात्मक बेचैनी में (2002). चंद्रशेखर संवाद तीन- एक दूसरे शिखर से (2002). चंद्रशेखर के बारे में (2002). मेरी जेल डायरीः भाग एक और दो (2002) शामिल है.

इसके अलावा अलग-अलग विषय पर अनेक किताबों का लेखन व संपादन किया है. इनमें प्रमुख किताबें हैं-

दिल से मैंने दुनिया देखी (2018). शब्द संसार (2016). झारखंड- सपने और यथार्थ (2012). झारखंड- समय और सवाल (2012). झारखंड- अस्मिता के आयाम (2011). झारखंड- दिसुम मुक्ति गाथा और सृजन के सपने. बिहारनामा (2011). बिहार: रास्ते की तलाश (2011). बिहार: अस्मिता के आयाम (2011). झारखंड: सुशासन अब भी संभावना है (2009). संताल हूल: आदिवासी प्रतिरोध संस्कृति (2009). जोहार झारखंड (2002). जनसरोकार की पत्रकारिता.   

सम्मान एवं पुरस्कार

  • अखिल भारतीय पत्रकारिता विकास परिषद, कोलकाता द्वारा अगस्त 1996 में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान.
  • पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान व कार्य के लिए अगस्त 2008 में भोपाल (मध्य प्रदेश) में प्रथम माधव राव सप्रे पुरस्कार से पुरस्कृत व सम्मानित.
  • सितंबर 2012 में जोहांसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में आयोजित नौवें विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान हिंदी के प्रति उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मान.

व्यक्तिगत जानकारी

पिता का नाम: बांके बिहारी सिंह


माता का नाम: देवयानी देवी


जन्म तिथि: 30 जून 1956 [ जन्म स्थान: बलिया (उत्तर प्रदेश)]


पत्नी का नाम: आशा सिंह


संतान: एक बेटा, एक बेटी

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. साँचा:cite web
  3. साँचा:cite news
  4. साँचा:cite web
  5. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  6. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  7. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  8. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  9. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  10. साँचा:cite web
  11. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।