अन्नपूर्णानन्द

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>SM7Bot द्वारा परिवर्तित १७:२९, १७ नवम्बर २०२१ का अवतरण (→‎top: clean up)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

अन्नपूर्णानंद (२१ सितंबर, १८९५ ई. - ४ दिसंबर, १९६२) हिंदी में शिष्ट और श्लील हास्य के लेखक थे। विख्यात मनीषी तथा राजनेता डॉ॰सम्पूर्णानन्द के आप छोटे भाई थे।

उनकी पढ़ाई उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के एक छोटे स्कूल से आरंभ हुई और मोतीलाल नेहरू के पत्र 'इंडिपेंडेंट' में कुछ समय श्रीप्रकाश के साथ काम किया। २२ वर्ष की वय में साहित्य के क्षेत्र में आए, प्रसिद्ध हास्यपत्र 'मतवाला' में पहला निबंध प्रकाशित हुआ-'खोपड़ी'। इन्होंने हिंदी के शिष्ट हास्य रस के साहित्य को ऊँचा उठाया। इनपर उडहाउस आदि का काफी प्रभाव था। लिखते बहुत कम थे पर जो कुछ लिखा वह समाज के प्रति मीठी चुटकियाँ लिए हुए कुरीतियों को दूर करने के लिए और किसी के प्रति द्वेष या मत्सर न रखकर समाज को जगाने के लिए। उनका हास्य कोरे विदूषकत्व से भिन्न कोटि का था।

वह काफी दिनों तक राष्ट्रकर्मी दानवीर श्री शिवप्रसाद गुप्त के सचिव भी रहे। आपकी निम्नलिखित छह रचनाएँ पुस्तकाकार प्रकाशित हो चुकी हैं- मेरी हजामत, मगन रहु चोला, मंगल मोद, महकवि चच्चा, मन मयूर तथा मिसिर जी। आपका निधन जयपुर में ४ दिसंबर, १९६२ को ६७ वर्ष की आयु में हुआ।