मृत्युज काठिन्य

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित ११:४७, १५ जून २०२० का अवतरण (Rescuing 1 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

मृत्युज काठिन्य (= मृत्यु जनित कठोरता ; Rigor mortis) , मृत्यु का तीसरा चरण है जो मृत्यु के पहचानने जाने योग्य लक्षणों में से एक है। यह मृत्यु के उपरान्त पेशियों में आने वाले रासायनिक परिवर्तनों के कारण होता है जिसके कारण शव के हाथ-पैर अकड़ने लगते है। (कड़े या दुर्नम्य) हो जाते हैं।) मृत्युज काठिन्य मृत्यु के ४ घण्टे बाद ही हो सकता है।

कठोरता सबसे पहले सिर में दिखाई देती है फिर थोड़े थोड़े समय में पूरे शरीर में दिखाए देने लग जाता है। पूरे शरीर में कठोरता आने के लिए १२ घंटे लेता है, शरीर में १२ घंटे रुकता है और १२ घंटे में शरीर से निकल जाता है। अगर शरीर में अकड़न सिर से पेहले किसी और अंग में दिखाई दे तो उस परिस्थिति को 'शव का ऐंठन' (Cadaveric spasm) कहते है।

कठोरता के क्षण की शुरुआत व्यक्ति के उम्र, लिंग, शारीरिक स्थिति, और मांसपेशियों का निर्माण से प्रभावित है। कठोरता के क्षण शिशु और बहुत छोटे बच्चो में नहीं दिखाई देता है। कठोरता के क्षण कई कारणों से प्रभावित होता है। इसका एक कारण मुख्य करण परिवेश का तापमान (ambient temperature), जब तापमान ज़्यादा होता है तो कठोरता के क्षण की शुरुआत शीघ्र होती है। और जब तापमान कम या ठंडा होता है तो कठोरता के क्षण की शुरुआत देर से होती है।

फिजियोलॉजी

बाहरी कड़ियाँ