द्रुमाकृतिक प्रतिरूप
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द्रुमाकृतिक प्रतिरुप अथवा वृक्षाकार अपवाह प्रतिरूप (साँचा:lang-en) एक तरह का अपवाह प्रतिरूप है जिसमें नदी की मुख्य धारा में उसकी शाखायें इस तरह से आकर जुड़ती हैं कि उनसे बनने वाला ज्यामितीय प्रतिरूप किसी पेड़ की शाखाओं प्रतिशाखाओं की तरह का होता है। आमतौर पर यह अपवाह प्रतिरूप ऐसे इलाकों में पाया जाता है जहाँ स्थलाकृति सपाट हो और क्षेत्र में चट्टानों में कोई ख़ास विविधता न हो।[१] उदाहरण के लिए उत्तर भारत की नदियाँ, जो समतल मैदानों में बहती हैं, इस किस्म का प्रतिरूप बनाती हैं।
इस प्रतिरुप में सभी सहायक धाराएं मुख्य नदी से न्यून कोण पर मिलती हैं। यह एकसमान स्वभाव तथा संरचना वाली शैलों के क्षेत्र में विकसित होता है।