राव राजा नन्दलाल चौधरी

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इन्दौर के संस्थापक राव राजा नन्दलाल जी मण्डलोई का एक चित्र

राव राजा नन्दलाल चौधरी (नन्दलाल मण्डलोई) इन्दौर के कम्पेल क्षेत्र के शासक थे। इन्हे इन्दौर शहर के संस्थापक के रूप मे जाना जाता है।[१]

सन १७०० में मुग़ल शासक आलमगीर की मुहर की सनद से राव नंदलाल जी को उनके पिता राव चूड़ामण जी की मृत्यु के बाद यहां का शासक घोषित किया गया।

राव राजा नंदलाल जी मंडलोई (ज़मींदार) का शासनकाल कम्पेल एवं इंदौर के विकास का स्वर्णिम काल रहा है जिसमे संमृृद्धि के नए आयाम स्थापित हुए। राव राजा नंदलाल जी का प्रशासनिक मुख्यालय महाल कचहरी से चलता था जो की जूनी इंदौर के परकोटे के अंदर थी।

राव राजा नंदलाल जी ने ही सन १७१५ में उस परकोटे के बाहर पहली आवासीय बस्ती की नींव रखी, जिसे अपने नाम के आधार पर नंदलालपुरा नाम दिया गया जो आज भी मौजूद है।

राव राजा नंदलाल जी ने इस स्थान की आर्थिक उन्नति एवं व्यावसायिक विकास से चिंतित होकर मुग़ल बादशाह से सायर (करमुक्त व्यापार) की अनुमति मांगी। फलस्वरूप ३ मार्च १७१६ को मुग़ल बादशाह द्वारा यहां सायर (करमुक्त व्यापार) की सनद द्वारा अनुमति प्रदान की गयी जिसके कारण यह क्षेत्र चौतरफा उन्नति करता हुआ मध्य भारत का व्यावसायिक केंद्र बना और आज वर्तमान में भी है।

यह सब राव राजा नंदलाल जी मंडलोई दूरदर्शिता एवं अथक प्रयासों के कारण ही संभव हुआ। इस स्थान की समृद्धि कई डाकुओं, पिण्डारियों, आसपास के सूबेदारों एवं राजाओं को खटकने लगी और लूटपाट के लिए लगातार आक्रमण होने लगे। उन्होंने उन सभी का डटकर मुकाबला किया। इस समय तक मुग़ल शासक की पकड़ ढीली हो गयी थी और पेशवा उत्तर की ओर बढ़ रहे थे। मालवा में शान्ति स्थापित करने के लिए और जन जन को लूटपाट से बचाने हेतु उन्होंने बाजीराव पेशवा बलाल से संधि करी। कालांतर में यहाँ पेशवा राज्य स्थापित हुआ जिसके सूबेदार होलकर बने।

सन्दर्भ

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