कोलकाता पुल हादसा

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कोलकाता पुल हादसा
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कोलकाता पुल हादसे की स्थिति
तिथि साँचा:start date
स्थान गिरिश पार्क, कोलकाता, भारत
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मृत्यु 27
घायल 80

भारतीय महानगर कोलकाता के गिरिश नगर पार्क में एक निर्माणाधीन पुल ३१ मार्च २०१६ को ढ़ह गया। इसमें कम से कम २७ लोग मारे गये और ८० घायल हो गये।

पृष्ठभूमि

२.२ किलोमीटर (१.४ मील) लम्बे विवेकानन्द फ्लाईओवर पुल को २००८ में प्रस्तावित किया गया था और २००९ में इसका निर्माण कार्य आरम्भ हुआ। इसके निर्माण का कार्य हैदराबाद की आईवीआरसीएल नामक कंपनी को दिया गया था।[१] यह कम्पनी उत्तर प्रदेश और विभिन्न अन्य राज्यों में काम करने से प्रतिबन्धित है।[२] यह कार्य २०१० तक पूर्ण होना था लेकिन बार-बार समयसीमा को अगे बढ़ाया गया।[१] स्थानीय लोगों के अनुसार ३० मार्च २०१६ को गिरने से एक दिन पहले, पुल पर बजरी (कंकरीट) डाली गयी थी।[३] पुल के ढहने से घण्टों पूर्व, वहाँ काम कर रहे लोगों ने बाहुधरनों के नट (जोड़ने के लिए प्रयुक्त पेच) टूटने की आवाज सुनी।[४]

दुर्घटना

भारतीय समयानुसार ३१ मार्च २०१६ को दोपहर १२:३२ बजे १५० मीटर (४९० फुट) पुल की इस्पात की पट्टी गिर गयी जिससे इसके नीचे से जा रहे बहुत सारे पैदल और वाहन फंस गये। यह दुर्घटना व्यस्त रबिन्द्र सरानी - के॰के॰ टैगोर स्ट्रीट चौराहे पर हुआ।[१] इसमें कम से कम २५ लोग मारे गये और ७५ घायल हुये। लगभग ९० लोगों को मलबे से निकाल लिया गया है लेकिन सैकड़ों लोग फंसे हुये हैं।[५]

दुष्परिणाम

१ अप्रैल २०१६ को आईवीआरसीएल को भारतीय दण्ड संहिता की धारा ३०२ के तहत हत्या के लिए आरोपित किया गया। पुलिस ने हैदराबाद में २ और कोलकता में आईवीआरसीएल के अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया[६] तथा आईवीआरसीएल के स्थानीय कार्यालय को बन्द कर दिया जबकि आईवीआरसीएल अधिकारियों के अनुसार यह एक "दैवी घटना" है।[७] इस दुर्घटना के बाद कंपनी के शेयर में ११.७ प्रतिशत की कमी आयी।[३]

प्रतिक्रिया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दुर्घटना के बाद स्थिति का जायजा लेने घटना स्थल पर पहुँची। उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना के जिम्मेदार लोगों को क्षमा नहीं किया जायेगा और उन्होंने पिछली वामपंथी सरकार पर इस पुल का ठेका देने का आरोप लगाया।[८]

माकपा की अगुवाई वाली पिछली सरकार ने आरोप लगाया कि पुल का ढहने वाला भाग वर्तमान सरकार के समय में बना है और इसके लिए वर्तमान सरकार जिम्मेदार है।[९]

नगरीय विकास राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने टिप्पणी की कि पुल का काम अवैज्ञानिक तरीके से हो रहा था और राज्य प्रशासन ने तीन वर्ष पूर्व उल्टाडांगा पुल के के ढहने से कोई सीख नहीं ली।[९]

सन्दर्भ

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