सुदर्शन चक्र
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (अप्रैल 2015) साँचा:find sources mainspace |
सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का शस्त्र है। इसको उन्होंने स्वयं तथा उनके कृष्ण अवतार ने धारण किया है। किंवदंती है कि इस चक्र को विष्णु ने गढ़वाल के श्रीनगर स्थित कमलेश्वर शिवालय में तपस्या कर के प्राप्त किया था। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण ने इस चक्र से अनेक असुरों ( दानव , दैत्य और राक्षस ) का वध किया था। त्रेतायुग में सुदर्शन चक्र ने शत्रुघन के रूप में जन्म लिया था और राजा कातवीर्य अर्जुन भी सुदर्शन चक्र के ही अवतार माने जाते हैं।
सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति
एक बार असुरों ने स्वर्ग पर आक्रमण करके देवताओं को बंदी बना लिया। भगवान विष्णु भी असुरों को मारने में असफल हुए। भगवान विष्णु ने भगवान शिव की पूजा शुरू की जिसमें उन्होंने एक सहस्त्र कमल पुष्पों से भगवान शंकर का पूजन किया। भगवान शिव भगवान नारायण की भक्ति से प्रभावित हुए। उन्होंने एक कमल पुष्प अपनी माया से लुप्त कर दिया। उस कमल पुष्प को ढूंढने की भगवान विष्णु ने बहुत प्रयत्न किये लेकिन उन्हें पुष्प नहीं मिला। पुष्प की कमी पूरी करने के लिए उन्होंने अपना एक नेत्र निकाल लिया और शिवलिंग पर अर्पित किया। उनकी इस भक्ति से भगवान शिव पहले से भी अधिक प्रभावित हुए और उन्होंने भगवान विष्णु को एक अचूक चक्र प्रदान किया। उस चक्र से भगवान विष्णु ने सभी असुरों का वध कर दिया और देवताओं को पुन: स्वर्ग दिया।