पुरुषार्थ सिद्धयुपाय
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पुरुषार्थ सिद्धयुपाय एक प्रमुख जैन ग्रन्थ है जिसके रचियता आचार्य अमृत्चंद्र हैं।[१][२] आचार्य अमृत्चंद्र दसवीं सदी (विक्रम संवत) के प्रमुख दिगम्बर आचार्य थे। पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में श्रावक के द्वारा धारण किये जाने वाले अणुव्रत आदि का वर्णन हैं[३] पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में अहिंसा के सिद्धांत भी समझाया गया हैं [४]
श्लोक
पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में २२६ श्लोक हैं जिसमें से प्रथम श्लोक मंगलाचरण हैं।
अहिंसा
पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में अहिंसा के सिद्धांत को विस्तार से समझाया गया हैं [५] इसमें श्रावक को हिंसा आदिक पापों से सावधान भी किया गया हैं।[६]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
सन्दर्भ ग्रन्थ
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