कनकमुनि

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आनन्द बगान, म्यांमार में कनकमुनि की मूर्ति

कनकमुनि (पालि : कोणागमन बुद्ध) गौतमबुद्ध के पूर्ववर्ती एक बुद्ध जिनकी कथा बुद्धवंश के अध्याय २३ में मिलती है।

प्राचीन बौद्ध साहित्य में गौतमबुद्ध के छह पूर्ववर्ती बुद्धों अथवा तथागतों में इनका उल्लेख मिलता है। महावस्तु, कर्मविभंग आदि कुछ ग्रंथों में इनका 'कोनाकमुनि' अथवा 'कोनाकमन' के नाम से भी उल्लेख किया गया है। बौद्ध विश्वास के अनुसार इनका नाम कनकमुनि इसलिए पड़ा कि इनके जन्म के समय जंबूद्वीप भर में स्वर्णवर्षा हुई थी। इनका जन्मस्थान सोदवती था। इनके पिता सैन्यदत्त और माता उत्तरा थीं। अपने पुत्र के जन्म के पश्चात् ये अपने ३०,००० अनुयायियों के साथ राज्य छोड़कर चल पड़े और इन्होंने भिक्षुधर्म स्वीकार कर लिया। कुछ काल की तपस्या के पश्चात् इन्हें बोधि अथवा ज्ञान प्राप्त हो गया। इन्होंने गौतमबुद्ध के आविर्भाव के विषय में भी भविष्यवाणी की थी। ये प्रागैतिहासिक युग के माने जाते हैं।

मेजर फ़ोर्ब्स ने गौतमबुद्ध के पूर्ववर्ती तीन बुद्धों का कालनिर्धारण करने का प्रयत्न किया है (जर्नल ऑव एशियाटिक सोसाइटी, जनू, १८३६)। उनके अनुसार क्रकुच्छंद ३१०१ ई.पू. बुद्ध हुए थे। इस कालगणना के अनुसार कनकमुनि ने २०९९ ई.पू. और काश्यप ने १०१४ ई.पू. बुद्धत्त्व की प्राप्ति की थी। किंतु स्वाभाविक ही यह सर्वसम्मत मत नहीं है। कनकमुनि का मंजुश्रीमूलकल्प, दिव्यावदान, महावस्तु, लंकावतार, ललितविस्तर, कर्मविभंग आदि अनेक प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में अन्य तथागतों, विशेष रूप से, क्रकुच्छंद और काश्यप के साथ, उल्लेख हुआ है।

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