पीरो प्रेमण
पीरो प्रेमण (जन्म अनुमान 1832 - 1882) को पंजाबी भाषा की पहिली कवित्री माना जाता है। उनका ज़िक्र पहली बार डा दविंदर सिंह ने अपने शोध पात्र में किया था।
जीवन
पीरो के जन्म के बर४ए में बहुत कम जानकारी मिलती है। पकिस्तान के लेखक श्री इकबाल कैसर के अनुसार उनका जन्म की फ़कीर के घर में उन्नसवीं सदी में हुआ था और उसकी माँ की बाद में जल्दी ही मृत्यु हो गई थी। पीरो के पिता ने ही उसका पालन पोषण किया और वह पीरो को अलग अलग धार्मिक स्थानों पर ले जाया करते थे .बाद में उसके पिता की शादी लाहौर के किसी व्यक्ति के साथ कर दी। लेकिन उसके शौहर ने पीरो को पाकिस्तान के हीरा मणडी नामक तवाएफ बाज़ार में बेच दिया था। [१] परंतू वहां से वह बच निकली और पाकिस्तान के एक नगर कसूर में स्थित गुलाब दास के डेरे में चली गई [१]
काव्य रचनाएँ
पीरो की 160 काफीयां मिलतीं है। पीरो की हस्त लिखतें गुलाब दासी पंथ के मौजूदा गद्दी नशीन श्री वजिंदर कुमार के पास है जो भारत के हरियाणा राज्य में रहते हैं। लाहौर के रहने वाले श्री इकबाल कैसर के पास इन लिखतों की फोटो कापी उपलब्ध है।