जोश मलसियानी

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जोश मलसियानी (1883-1976),[१] जन्म समय लभु राम, अपने समय के एक बहुत प्रशंसित उर्दू कवि थे। वह जालंधर के एक कसबे मलसिया में पैदा हुए जो 19 वीं शताब्दी में सर कलीम सिंह बेदी के रावलपिंडी पलायन तक बेदी परिवार का डोमेन था।  उनके  पिता पंडित मोती राम भी अनपढ़ थे और पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में उनकी मिठाई दुकान थी। माँ ने बड़ी मेहनत और जतन से जोश को शिक्षा दिलवाई।उन्होंने 1897 में वर्नाक्यूलर मिडिल की परीक्षा पास की। जालंधर के कई स्कूलों में अध्यापन का काम किया।  लाहौर में एक शिक्षक के रूप में प्रशिक्षित होने के बाद जोश ने जालंधर में एक स्कूल में उर्दू और फारसी अध्यापन शुरू कर दिया, लेकिन 1913 में नकोदर में स्थायी रूप से बस गए और यहाँ पर एक स्कूल शिक्षक के रूप में  और नवोदित उर्दू कवियों मार्गदर्शक अपने जीवन के बाकी समय बतीत किया। उसने अपने आप उर्दू कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था जब  वह आठ साल के थे और बाद में मिर्जा खान दाग़ देहलवी के एक शिष्य बन गए।[२] रत्न पंडोरवी, साहिर होशियारपुरी और नरेश कुमार शाद उनके शागिर्द थे। उनकी सबसे महत्वपूर्ण लेखनी - दीवान-ए-ग़ालिब मा' शरह , जो ग़ालिब की उर्दू शायरी पर एक विद्वताभरपूर टिप्पणी है।[३] 1971 में उन्हें पदम श्री सम्मान से सम्मानित किया गया।

सन्दर्भ

  1. http://id.loc.gov/authorities/names/n89260728.html
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