भारत के बाल लैंगिक अत्याचार क़ानून
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पुरे दुनिया में भारत में बच्चों कि जनसंख्या सब से अधिक है।२०११ का जनगणना डेटा दरशाता है कि ४७२ लाख बच्चे १८ व्रष से कम अयु के हैं जनमें से २२५ लाख लड़कियाँ है। [१] भारत में बाल लैंगिक अत्याचार कानूनों का आध्याधेश भारत की बाल संरक्षण नीतियों का हिस्सा है। भारतीय संसद ने 'बालकों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण विपत्र 2011' को 22 मई 2012 में पारित किया, जिससे वह ' बालकों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम 2012' बन गया और 14 नवंबर 2012 से लागू हो गया। [२] भारत में लगभग 53 प्रतिशत बालकों ने किसी तरह का लैंगिक अत्याचार का सामना किया है।
2012 के अधिनियम के पहले का क़ानून
2012 के अधिनियम से पहले ' गोवा बाल अधिनियम 2003' बाल लैंगिक अत्याचार से संबंधित इकलौता ऐसा क़ानून था। 2012 से पहले बाल यौन शोषण अपराध भारतीय दंड प्रक्रिया 1860 के इन धारायो के अंदर आते थे :
- धारा 375- बलात्कार
- धारा 354- औरत की लज्जा को भंग करना
- धारा 377- अप्राकृतिक अपराध
- धारा 511- प्रयत्न