प्लांक का क्वान्टम सिद्धान्त

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>रोहित साव27 द्वारा परिवर्तित ०९:५५, ५ फ़रवरी २०२१ का अवतरण (2409:4063:4E86:6176:69C0:562B:6F7E:8744 (Talk) के संपादनों को हटाकर रोहित साव27 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

मैक्स प्लांक ने किसी पिंड के उत्सर्जित व अवशोषित ऊर्जा के मात्रात्मक संबंधो को समझाया। उन्होने कहा की जब किसी ठोस वस्तु को एक सिरे से गरम किया जाता है तो धीरे-धीरे उसके ताप मे वृद्धि होती है और अलग-अलग तरंग्दैर्ध्य(ʎ) के विकिरण उत्सर्जित होते है। जैसे-जैसे वस्तु का ताप बढ़ाया जाता है तो उत्सर्जित ऊर्जा बढ़ने से आवृति बढ़ती जाती है और तरंग्दैर्ध्य(ʎ) घटती है। उन्होने कहा कि ऐसा आदर्श पिंड जो सभी प्रकार के विकिरणों को उत्सर्जित या अवशोषित करता है,कृष्णिका (Black Body)कहलाता है। उत्सर्जित व अवशोषित विकिरण कृष्णिका विकिरण कहलाती है। प्लांक के क्वान्टम सिद्धान्त के अनुसार "किसी वस्तु से विकिरणों का उत्सर्जन या अवशोषण असतत या विविक्त कम होता है और उत्सर्जित व अवशोषित विकिरण की ऊर्जा आवृति के समानुपाती होती है।

 अर्थात          Eαν या E=hν
            E=hC/λ