डॉन (2006 फ़िल्म)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित ११:३६, ३० अगस्त २०२० का अवतरण (Rescuing 1 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.6)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
डॉन
चित्र:डॉन.jpg
डॉन का पोस्टर
निर्देशक फरहान अख्तर
निर्माता फरहान अख्तर
रितेश सिधवानी
लेखक सलीम ख़ान
पटकथा फरहान अख्तर
जावेद अख़्तर
अभिनेता शाहरुख़ ख़ान,
करीना कपूर,
प्रियंका चोपड़ा
संगीतकार शंकर-एहसान-लॉय
प्रदर्शन साँचा:nowrap २० अक्टूबर२००६
समय सीमा १७८ मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी
लागत ३५ करोड़ (US$४.५९ मिलियन)[१]

साँचा:italic title

डॉन 2006 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इस फिल्म का निर्देशन फरहान अख्तर ने और निर्माण रितेश सिधवानी और फरहान अख्तर की कंपनी एक्सेल एंटरटेनमेंट ने किया है। इस फिल्म में शाहरुख खान, प्रियंका चोपड़ा और अर्जुन रामपाल मुख्य किरदार में और उनके साथ बोमन ईरानी, ईशा कोपिकर और ओम पुरी सहायक भूमिका में हैं। ये 1978 में इसी नाम से बनी फिल्म का दुबारा निर्माण है। इसे 20 अक्टूबर 2006 को सिनेमाघरों में दिखाया गया।

कहानी

डिप्टी कमिश्नर डी सिल्वा (बोमन ईरानी) को शहर में सिंघानिया और डॉन (शाहरुख खान) को पकड़ने के लिए भेजा जाता है। एक दिन पुलिस की मुठभेड़ में डॉन काफी घायल हो जाता है और कोमा में चले जाता है, जिससे वो डी सिल्वा के कब्जे में आ जाता है। डी सिल्वा की मुलाक़ात डॉन जैसे दिखने वाले विजय (शाहरुख खान) से होती है, वो डॉन के बाकी साथियों को पड़ने के लिए उसे नकली डॉन बनने को राजी करा लेता है। वो उससे वादा करता है कि वो दीपु (तनय छेड़ा) को अच्छे स्कूल में दाखिला करा देगा। वहीं दीपु का पिता, जसजित (अर्जुन रामपाल) जेल से छूट जाता है और डी सिल्वा को मार कर अपनी बीवी के मौत का बदला लेने की सोचते रहता है।

विजय को अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता है, और वहाँ डॉ॰ अशोक गिलवानी समान चोट के निशान लगाता है, जैसा डॉन का होता है। डॉन की मौत हो जाती है। विजय अब डॉन के रूप में उनके गैंग में शामिल हो जाता है। डी सिल्वा उसे कम्प्युटर डिस्क हासिल करने बोलता है, जिसमें उनके सारे काले कारनामे दर्ज हैं। जब विजय को वो डिस्क मिल जाता है, तभी रोमा (प्रियंका चोपड़ा) उस पर हमला करती है और अपनी बहन, कामिनी (करीना कपूर) के मौत का बदला लेने की कोशिश करते रहती है, जिसे डॉन ने मार दिया था। उसी समय डी सिल्वा आता है और उसे रोक कर बताता है कि ये डॉन नहीं, बल्कि विजय है। विजय वो डिस्क डी सिल्वा को देते हुए बताता है कि सभी गैंग के लोग एक जगह इकट्ठा होने वाले हैं। पुलिस उनके अड्डे में आ जाती है और पुलिस की मुठभेड़ में डी सिल्वा की मौत हो जाती है और पुलिस विजय को भी गिरफ्तार कर लेती है। विजय की असली पहचान जानने वाले की मौत हो जाने के बाद वो किसी भी तरह साबित नहीं कर पाता कि वो विजय है, लेकिन उसके साथ काम करने वाले गैंग के सदस्य जान जाते हैं कि ये डॉन नहीं है, जिससे उनके बीच लड़ाई होती है। विजय वहाँ से भाग निकलने में सफल हो जाता है और वो रोमा से मिलता है, ताकि डिस्क प्राप्त कर वो अपने आप को बेकसूर साबित कर सके।

वहीं जसजित डिस्क की तलाश में डी सिल्वा के अपार्टमेंट में आता है। वहाँ उसे फोन पर कॉल आता है और कोई उससे कहता है कि अपने बेटे को दुबारा देखना चाहते हो तो वो डिस्क उसके हवाले कर दो। उसे पाता चलता है कि डी सिल्वा जीवित है और वो असल में वर्धन है, जो विजय का इस्तेमाल कर अपने प्रतिद्वंद्वी के राज जानना चाह रहा था। बाद में जसजित और विजय के बीच लड़ाई होती है, पर बीच में दीपु आ कर उन दोनों को रोक देता है और जसजित को बताता है कि उसके नहीं रहते समय उसका सारा देखरेख विजय ही कर रहा था। जसजित भी विजय और रोमा के साथ हो जाता है और उन दोनों को वर्धन की असल पहचान के बारे में भी बताता है। वे लोग योजना बनाते हैं, जिसके तहत वर्धन को फोन कर जसजित बात करने के लिए बुलाता है, और वे तीनों इंटरपोल को भी इस बात की खबर कर देते हैं।

वर्धन के आने के बाद विजय और वर्धन के बीच लड़ाई शुरू हो जाती है, और बीच में इंस्पेक्टर विशाल मलिक (ओम पुरी) भी आ जाता है। वर्धन को गिरफ्तार कर लिया जाता है, और घायल विजय को अस्पताल ले जाया जाता है। उसे अस्पताल ले जाते समय रोमा उससे प्यार का इकरार करती है।

अंत में दिखाया जाता है कि असल में डॉन हमेशा से जीवित ही था, जो इस पूरे वक्त विजय बना फिर रहा था। फिर दिखाया जाता है कि किस प्रकार अस्पताल में वो ठीक हो कर वर्धन और विजय के बीच हुई बातचीत सुन लेता है। जब विजय का ऑपरेशन हो जाता है तो कुछ समय के लिए जब वर्धन और डॉ॰ अशोक कमरे में नहीं रहते, तभी वो जगह बदल लेता है और विजय को मार देता है। बाद में ये भी पता चलता है कि जो सीडी पुलिस को मिली है, वो असली नहीं है। वर्धन और सिंघानिया के हटने के बाद अब पूरे एशिया के ड्रग तस्करी का डॉन अकेला बादशाह बन चुका है। डॉन जब हवाई अड्डे में अनीता (ईशा कोपिकर) से मिलता है तो वो जाते हुए बोलता है कि "डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं...." और इसी के साथ स्क्रीन काला हो जाता है और फिल्म खत्म हो जाती है।

कलाकार

संगीत

सभी गीत जावेद अख्तर द्वारा लिखित; सारा संगीत शंकर-एहसान-लॉय द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."आज की रात"महालक्ष्मी अय्यर, अलीशा चिनॉय, सोनू निगम6:08
2."मैं हूँ डॉन"शान5:30
3."मोरिया रे"शंकर महादेवन5:50
4."ये मेरा दिल" (पुनर्निर्मित पुरानी फिल्म से)सुनिधी चौहान4:39
5."खइके पान बनारस वाला" (पुनर्निर्मित पुरानी फिल्म से)उदित नारायण, शाहरुख़ ख़ान5:24
6."डॉन - द थीम"शाहरुख़ ख़ान4:09

कमाई

देश संग्रहण समय सीमा
भारत $14,302,729 १ नवम्बर २००६ तक
संयुक्त राज्य अमेरिका $2,223,961 २२ अक्टूबर २००६ तक
यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड एवं माल्टा $2,826,980 ७ दिसम्बर २००६ तक
ऑस्ट्रेलिया $233,903 ३० नवम्बर २००६ तक
न्यूज़ीलैंड $52,556 ५ नवम्बर २००६ तक
कुल $19,640,129 ७ दिसम्बर २००६ तक

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ