फीताकृमिरोग

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फीताकृमिरोग
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
Echinococcus Life Cycle.svg
फीताकृमिरोग का जीवन-चक्र
आईसीडी-१० B67.
आईसीडी- 122.4, 122
डिज़ीज़-डीबी 4048
ईमेडिसिन med/629  साँचा:eMedicine2
एम.ईएसएच D004443

फीताकृमिरोग, जिसे हाइडाटिड रोग, हाइडेटिडोसिस या इचिनोकॉकल रोग भी कहते हैं इचियानोकॉककस प्रकार का फीताकृमि परजीवी रोगहै। लोगों को दो मुख्य प्रकार के रोग होते हैं, पुटीय फीताकृमिरोग और वायुकोषीय फीताकृमिरोग। बहुपुटीय फीताकृमिरोग तथा एकलपुटीय फीताकृमिरोग इसके दो अन्य प्रकार हैं जो कम आम हैं। यह रोग अक्सर बिना लक्षणों के शुरु होती है और बरसों तक बना रह सकता है। उत्पन्न होने वाले लक्षण व चिह्न कोष (पुटीय) स्थिति तथा आकार पर निर्भर करते हैं। वायुकोषीय रोग आमतौर पर लीवर में शुरु होता है लेकिन शरीर के अन्य भागों जैसे फेफड़ो और मस्तिष्क में फैल जाता है। जब लीवर प्रभावित होता है तो व्यक्ति को पेड़ू दर्द, वजन में कमीं हो सकती है और वह पीला yellow पड़ सकता है। फेफड़े के रोग में सीने में दर्द पैदा हो सकता है, सांस लेने में कठिनाई और खांसी हो सकती है।[१]

कारण

यह रोग तब फैलता है, जब ऐसा खाना या पानी खाया या पिया जाता है जिसमें परजीवी के अंडे होते हैं या किसी संक्रमित पशु से नजदीकी संपर्क होता है।[१] परजीवी से संक्रमित मीट खाने वाले पशुओं के मल में अंडे मुक्त होते हैं।[२] आम तौर पर संक्रमित पशुओं में कुत्ते, लोमड़ियां और भेड़िए शामिल हैं।[२] इस पशुओं के संक्रमित होने के लिए उनको किसी ऐसे पशु के अंग खाने चाहिए जिनमें कोष (पुटिका) होती है जैसे भेंड या कृदंत।[२] लोगों में होने वाले रोग के प्रकार, संक्रमण पैदा करने वाले फीताकृमि के प्रकार पर निर्भर करते हैं। आम तौर पर निदान कम्प्यूटर टोमोग्राफी (सी.टी.) से होने वाले अल्ट्रासाउंड या मैग्नेटिक रेसोनेन्स इमेजिंग (एमआरआई) के उपयोग से किया जाता है। परजीवियों के विरुद्ध ऐंटीबॉडी देखने के लिए रक्त परीक्षण के साथ-साथ बायोप्सी भी सहायक हो सकती है।[१]

रोकथाम व उपचार

पुटीय रोग की रोकथाम, उन कुत्तों का उपचार करके और भेड़ों का टीकाकरण करके की जा सकती है जो रोग के वाहक हैं। इसका उपचार अक्सर कठिन होता है। यह पुटीय रोग दवा के बाद त्वचा से सुखाया जा सकता है।[१] कई बार इस तरह के रोगों को बस देखा जाता है।[३] वायुकोषीय प्रकार के लिए अक्सर शल्यक्रिया के बाद दवा की जरूरत होती है।[१] अल्बेंडाज़ोल वह दवा है जिसे बरसों लेने की जरूरत पड़ सकती है।[१][३] वायुकोषीय रोग के काण मृत्यु भी हो सकती है।[१]

महामारी विज्ञान

यह रोग दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में होता है और वर्तमान समय में इससे लगभग एक मिलियन लोग प्रभावित हैं। दक्षिण अमरीका, अफ्रीका तथा एशिया कुछ क्षेत्रों में कुछ जनसंख्याओं का 10% तक प्रभावित है।[१] 2010 में लगभग 1200 लोगों की मृत्यु हुई है जो कि 1990 के 2000 लोगों की मृत्यु से कम है।[४] इस रोग की वार्षिक आर्थिक लागत लगभग 3 बिलियिन अमरीकी डॉलर होने का आंकलन है। यह दूसरे पशुओं जैसे सुअर, गाय या घोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है।[१]

सन्दर्भ